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नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज क्या है – non alcoholic fatty liver disease in hindi – कारण, लक्षण, जांच एंव इलाज

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज – non alcoholic fatty liver disease in hindi

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (non alcoholic fatty liver disease) लिवर से जुड़ी एक बीमारी है। non alcoholic fatty liver disease in Hindi को हिंदी में आमतौर से गैर अल्कोहल वसायुक्त रोग के नाम से जाना जाता है। non alcoholic fatty liver disease को ही संक्षेप में NAFLD (NAFLD full form in hindi) कहा जाता है।

गैर अल्कोहल वसायुक्त रोग यानी non alcoholic fatty liver disease एक ऐसी बीमारी है जिसमें किसी भी व्यक्ति के लिवर में वसा जमा हो जाता है। इस बीमारी की खास बात ये है कि इसमें कम या कभी भी एल्कोहल यानी शराब का उपयोग न करने वाले व्यति के लिवर में वसा (Fat) जमा हो सकता है। non alcoholic fatty liver disease शुरुआत में ठीक न होने पर भविष्य में आगे जाकर लिवर के अंतिम चरण की बीमारी का रूप ले सकता है।

नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज आगे जा कर नॉन अल्कोहलिक स्टेटो हेपेटाइटिस (non alcoholic steatohepatitis) का रूप ले सकता है।

अगर इस स्थिति तक भी बीमारी कंट्रोल में नही आ पाता है तो यही आगे जा कर और खतरनाक हो जाता है। तथा एडवांस स्तर के लिवर सिरोसिस (advance liver cirrhosis) का भी रूप ले सकता है।

गैर अल्कोहल वसायुक्त रोग के लक्षण लिवर में अत्यधिक वसा (फैट) का जमा हो जाना, लिवर में सूजन और लिवर का खराब हो जाना है। गैर एल्कोहल फैटी लिवर डिजीज आगे जा कर सिरोसिस का रूप ले सकता है। इस स्तिथि में लिवर काम करना बंद कर देता है और यह पूरी तरह से खराब हो जाता है। हालांकि इस स्तर तक आने में काफी समय लगता है। तथा बहुत कम ही मरीज़ इस स्तर तक आते हैं। इससे पहले उनकी स्थिति नियंत्रित हो जाती है।

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज निम्नलिखित बीमारी वाले व्यक्ति में अधिक देखा जाता है

• मोटे व्यक्ति में
• डायबिटीज के मरीज में
• डिसलिपिडीमिया के मरीज में

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज होने के कुछ अन्य कारण – non alcoholic fatty liver disease cause in hindi

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज सामान्य रूप से ऐसे व्यक्ति में भी देखने को मिलता है, जिसमें प्राकृतिक रूप से शरीर में हॉरमोन और इंसुलिन खून में चीनी की मात्रा को पर्याप्त मात्रा में कम नही कर पाता है।

• लंबे समय तक नसों के माध्यम से न्यूट्रिशन लेना
• इंसुलिन का प्रभाव काफी कम हो जाना
• मोटे व्यक्ति में अचानक और तेज़ी से वजन कम होने लगना
• लिपिड डिसऑर्डर
• कुछ विशेष दवाइयां

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के लक्षण या गैर अल्कोहल वसायुक्त रोग के लक्षण – non alcoholic fatty liver disease symptoms in hindi

सामान्यतः non alcoholic fatty liver disease शुरुआत के लक्षण के रूप में कुछ भी देखने को नही मिलता है। शुरुआत में जांच में लिवर के असामान्य रूप से काम करने का पता चल जाता है। इसके कुछ सामान्य लक्षणों में मरीज को अत्यधिक थकावट महसूस होना, कमजोरी, बिचैनी, पैर का फूल जाना तथा पेट के ऊपरी भाग में हल्का दर्द होना शामिल है।

इस बीमारी के अगले स्टेज में जाने के बाद निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं –

• आंतों से खून आ सकता है।
• जॉन्डिस की समस्या हो सकती है।
• पेट में पानी जमा हो सकता है।
• अत्यधिक कमज़ोरी महसूस होने लगता है।
• पैर का सूजन भी देखने को मिल सकता है।

जब एसोफेगस और पेट में मौजूद नसों से खून निकलने लगता है तथा दिमाग की एक बीमारी के कारण लिवर खून से खतरनाक पदार्थों को अलग नही कर पाता है, तब ये स्थिति इस बात का संकेत होता है कि अब नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज अब एडवांस स्टेज के लिवर Cirrohsis में पहुंच चुका है।

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की जांच कैसे की जाती है – non alcoholic fatty liver disease test in hindi

नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज होने का सबसे पहले सामान्य खून जांच या लिवर फंक्शन टेस्ट से पता चलता है। अधिक मोटे व्यक्ति में भी इसकी संभावना होती है। हालांकि नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज सामान्य और पतले दुबले व्यक्ति को भी हो सकता है। इस बीमारी की पुष्टि लिवर के ultrasound के बाद ही किया जाता है।

अल्ट्रासाउंड जांच में लिवर में फैट जमा हुआ नजर आता है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की स्थिति का पता लगाने के लिए, की यह बीमारी किस स्टेज में है, लिवर का बॉयोप्सी किया जाता है। बॉयोप्सी के लिए लिवर के कुछ Tissues कलेक्ट किए जाते हैं। इसके बाद उसे जांच के लिए भेजा जाता है।

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का इलाज या गैर अल्कोहल वसायुक्त रोग के उपचार – non alcoholic fatty liver disease treatment in hindi

अगर कोई मोटा व्यक्ति नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का शिकार होता है तो सबसे पहले उसे वजन कम करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा शारीरिक एक्टिविटी बढ़ाने, संतुलित आहार लेने, एल्कोहॉल तथा गैरजरूरी दवाईयों का उपयोग बंद करने को भी कहा जाता है। इसके अलावा अगर मरीज डायबिटीज या बढ़े कोलेस्ट्रॉल का शिकार है, तो इसे जल्दी कंट्रोल करने और इसे बरकरार रखने को कहा जाता है।

इसके अलावा डॉक्टर नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज स्तिथि में निम्नलिखित इलाज करते हैं –

• संतुलित आहार और व्यायाम के द्वारा वजन का नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है।
• लिपिड को कम करने की दवाइयां दी जाती है।
• इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाने के लिए दवाई दी जाती है।
• दवाइयों के द्वारा लिवर के सूजन को कम करते हैं।
• एंटीऑक्सीडेंट का उपयोग

वजन कम करते हुए यह ध्यान देना है कि वजन धीरे धीरे कम हो। इसके लिए संतुलित आहार लेना और पर्याय मात्रा में व्यायाम करना बेहद ज़रूरी है। एक बार वजन कम होने के बाद भी संतुलित आहार लेते रहना काफी ज़रूरी है।

कुछ महत्वपूर्ण बातें जो हमेशा ध्यान में रखें –

• नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज इंसुसीन की कमी होने पर क्रोनिक लिवर डिजीज़ में बदल सकता है। इस लिए शुरुआत में ही इसका इलाज करना काफी ज़रूरी है।

• नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज हृदय और नसों से भी जुड़ा हुआ है।

• जब खून में liver enzymes बढ़ा हुआ या Scan के दौरान लिवर में Fat जमा हुआ दिखता है तो इसका अर्थ है कि नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-alcoholic fatty liver disease (NAFLD) होने के यह संकेत हैं। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

नोट- इस लेख में बताई गई जानकारियों को केवल जानकारी के तौर पर ही लें। इलाज संबंधित कोई भी फैसला डॉक्टर की सलाह पर ही लें।

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