● ट्रान्सकैथेटर एब्लेशन की परिभाषा – Transcatheter Ablation Definition
ट्रान्सकैथेटर एब्लेशन, एलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी (ईपीएस) के साथ रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन करने की एक प्रक्रिया है। इसे केवल Catheter Ablation या Cardiac Ablation के नाम से भी जाना जाता है।
एलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी जांच की एक प्रक्रिया है जिसके तहत हृदय का अंदर से ईसीजी (ECG) किया जाता है। यह हृदय की गति को असामान्य करने वाले इलेक्ट्रिकल संकेतों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। एलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी की मदद से हृदय की गति के असामान्य होने के कारण का पता लगाया जा सकता है जो की डॉक्टर को उचित इलाज करने में मदद करता है।

एरिथमिया (हृदय की असामान्य गति) का इलाज दवाओं द्वारा, पेसमेकर द्वारा, कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर प्रत्यारोपण या रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन द्वारा किया जा सकता है। अगर हृदय गति के असामान्य रूप से काफी तेज़ होने की समस्या है तो इसके इलाज के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) का सुझाव दिया जा सकता है।
रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन की प्रक्रिया में असामान्य रूप से अधिक इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा करने वाले ऊतकों को हटाने के लिए माइक्रोवेव वेव जैसे हीट (गर्मी) का उपयोग किया जाता है। उन ऊतकों के हट जाने के बाद हृदय की गति सामान्य हो जाती है।
● एलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी तथा रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन की आवश्यकता किसे होती है?
जब डॉक्टर यह समझना चाहता है की किन कारणों से किसी व्यक्ति का हृदय गति असामान्य है, तो इस स्तिथि में ईपीएस (EPS) किया जाता है। किसी व्यक्ति में हृदयघात के कारण, उच्च रक्त चाप या अधिक उम्र के कारण हुए स्कारिंग की वजह से हृदय का इलेक्ट्रिकल सिग्नल काफी तेज़ हो जाता है। कुछ प्रकार के कंजेनाइटल (जन्मजात) हृदय रोग की स्तिथि में भी ईपीएस की आवश्यकता पड़ सकती है।
रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) हृदय गति के तेज़ हो जाने की स्तिथि में इसके इलाज के लिए उपयोग में आता है। हृदय गति के तेज़ हो जाने की समस्या से ग्रसित मरीज़ में निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं :
• हृदय गति के काफी तेज़ हो जाने का अनुभव होना
• सांस फूलना
• लगातार सिर चकराना
• लगातार गिरने की समस्या या बेहोश हो जाना
• सीने में दर्द
• अधिक पसीना आना
यह ध्यान देने वाली बात है की धड़कन की समस्या से ग्रसित सभी मरीज़ को आरएफए की आवश्यकता नही होती है। इसका उपयोग परिस्थिति पर निर्भर करता है।
● ट्रांसकैथेटर एब्लेशन की प्रक्रिया – Transcatheter Ablation Procedure
• प्रक्रिया के तहत एक पतले लचीले खोखले नली को बांह या गले की नस के द्वारा लोकल एनेस्थीसिया के उपयोग के बाद शरीर में डाला जाता है।
• इसके बाद उस खोखले नली के द्वारा इलेक्ट्रोड कैथेटर डाला जाता है। एक छोटे कैमरे की मदद से इस इलेक्ट्रोड को हृदय तक पहुंचा दिया जाता है।
• इसके बाद हृदय की गति को असामान्य करने वाले स्थान का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रो विशेषज्ञ द्वारा हृदय का इलेक्ट्रिक मैपिंग किया जाता है।
• इसके बाद एब्लेशिंग कैथेटर को नली के मध्यम से हृदय के उस ऊतक तक लाया जाता है जहाँ से असामान्य इलेक्ट्रिक करेंट पैदा हो रहा है।
• प्रक्रिया में अगले कदम के रूप में एलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट अधिक मात्रा में इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा करने वाले ऊतकों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक छोड़ता (डिस्चार्ज) है। इसे वह ऊतक इलेक्ट्रिकली शांत हो जाता है।
• अंततः कैथेटर को निकाल लिया जाता है तथा उसके नाद उस शीथ (नली) को भी निकाल लिया जाता है।
● इससे जुड़े खतरे क्या हैं – Cardiac Ablation Danger in hindi
• इस प्रक्रिया में किसी प्रकार के खतरे की संभावना बेहद हो कम है। ईपीएस या आरएफए के दौरान कुछ होने की संभावना 1 प्रतिशत से भी कम है जैसे की एंजियोग्राफी के दौरान होता है।
• इस प्रक्रिया के होने से 6 से 8 घण्टे पहले कुछ भी न खाएं न पिएं।
• आप जिन भी दवाओं का सेवन कर रहे है, उसके बारे में डॉक्टर को ज़रूर बताएं। न बताने पर इन दवाओं के सेवन से इलाज के दौरान कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
● प्रक्रिया के दौरान क्या होता है – cardiac ablation Procedure in Hindi
• प्रक्रिया के दौरान मरीज़ जगा हुआ तथा होश में रहता है।
• जिस स्थान से कैथेटर डाला जाना है, उसे बिल्कुल साफ कर दिया जाता है।
• मरीज़ को प्रक्रिया के दौरान शांत रखने के लिए उसे सिडेटिव देने के लिए एक आईवी सेट हाँथ में लगाया जाता है।
• जिस स्थान से कैथेटर डाला जाना है, उस स्थान पर लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है।
• जब डॉक्टर कैथेटर को हृदय तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, तो इस दौरान आपको दबाव महसूस हो सकता है। लेकिन किसी प्रकार का दर्द नही होता है।
• जब हृदय को इलेक्ट्रिक प्लस दिया जाता है, तो हृदय काफी तेज़ी से या धीरे धीरे गति करने लगता है। हृदय के द्वारा उतपन्न इलेक्ट्रिक सिग्नल से एरिथमिया पैदा करने वाले स्थान का सटीक पता चल पाता है।
• आवश्यकता होने पर डॉक्टर खराब हो चुके ऊतक के स्थान पर विशेष इलेक्ट्रोड कैथेटर डाल सकता है।
• खराब हो चुके ऊतक को शांत करने के लिए डॉक्टर कैथेटर के द्वारा माइक्रोवेव की तरह हीट पैदा करता है।
• इसके बाद शीथ तथा कैथेटर को बाहर निकाल लिया जाता है।
● प्रक्रिया के बाद क्या होता है – After cardiac ablation
• प्रक्रिया के बाद अगले 1 से 3 घण्टे के लिए मरीज़ को निगरानी कक्ष में रखा जाता है।
• मरीज़ को निगरानी में सिडेटिव के असर को पूरी तरह से खत्म होने तक रखा जाता है।
• जिस स्थान से कैथेटर डाला गया है, उस स्थान पर सूजन तथा खून बहने की संभावना को देखते हुए नज़र रखा जाता है।
● डॉक्टर से कब मिलें – when to see doctor after cardiac ablation
निम्नलिखित लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें :
• जहां से कैथेटर डाला गया था ( प्रक्रिया वाले स्थान), उस स्थान पर तेज़ी से सूजन आने पर
• दबाव के उपयोग के बाद भी प्रक्रिया वाले स्थान से लगातार खून बहना
• एलेक्ट्रो फिजियोलॉजी स्टडी के लिए उपयोग किए गए हांथ या पैर का सुन्न हो जाना या झुनझुनी महसूस करना
• हांथ या पैर का रंग बदल जाना या अचानक हाथ या पैर में ठंड लगने लगना
• प्रक्रिया वाले स्थान पर सूजन हो जाना या कुछ द्रव का निकलना
• प्रक्रिया वाले स्थान की स्तिथि खराब हो जाने घाव का रूप ले लेने पर या कुछ असामान्य दिखनेक पर
नोट – इस लेख में बताई गई जानकारी को केवल सलाह के तौर पर लें।