कई ऐसी बीमारियां भी हैं, जब कोई इंसान उन बीमारियों से ग्रसित होता है तो उसके साथ-साथ दूसरी बीमारियां भी होने लगती है। बेडसोर (bed sore in hindi language) भी एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर से दूसरी बीमारियों के होने की वजह से ही होती है। हालांकि ऐसा हमेशा जरूरी नहीं होता है कि बेडसोर किसी अन्य बीमारी होने के कारण ही होगा।
तो चलिए आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताते हैं कि बेडसोर क्या है या Bed sore kya hai (Bed Sore in hindi). बेडसोर के कारण क्या है, बेडसोर के लक्षण क्या है. बेडसोर से बचाव के उपाय क्या है तथा बेडसोर का इलाज क्या है *bed sore treatment and prevention in hindi). बेडसोर के बारे में विस्तार (Bed sore in Hindi Language) से जानने के लिए इस आर्टिकल के लास्ट तक पढ़ें।
● बीएड सोरे क्या है – Bed Sore in Hindi
सबसे पहले बात करते हैं कि बेडसोर क्या है या Bed Sore kya hai. बेडसोर एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के किसी एक हिस्से पर लगातार दबाव पड़ने पर घाव बन जाता है। उसे ही बेडसोर कहा जाता है। बेडसोर आमतौर से वैसे मरीज को होता है जो कि एक लगातार सोए हुए ही रहते हैं या वैसे मरीज जो लंबे समय तक लगातार wheelchair पर बैठे रहते हैं तो उनमें भी बेडसोर होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है।
● बेडसोर की परिभाषा – Bedsore Definition in Hindi
बेडसोर का परिभाषा (Bed sore definition Hindi) की बात करें तो बेडसोर एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर लगातार पड़ रहे प्रेशर से त्वचा तथा त्वचा के अंदर के ऊतकों में इंजरी होना ही बेडसोर है। बेडसोर को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। इसे आमतौर से प्रेशर सोर (Pressure sore in Hindi) या प्रेशर अल्सर (pressure ulcers in Hindi) भी कहा जाता है। इसके अलावा बेडसोर को decubitus ulcers भी कहा जाता है।
बेडसोर आमतौर से Bony Area पर देखने को को मिलता है। जैसे को एड़ी, Hip, कंधे के नीचे, कमर के ठीक नीचे (Tailbone) इत्यादि में बीएड सोरे (Bedsore in Hindi Language) आमतौर से देखने को मिलता है।
अध्ययन से पता चलता है कि बेडसोर आमतौर से वैसे मरीजों में काफी ज्यादा देखने को मिलता है जो कि अपने हाथ पैर को अपनी ताकत से घुमाने या हिलाने डुलाने में सक्षम नहीं होते हैं। या करवट लेने के लिए भी उन्हें दूसरों की सहायता लेनी पड़ती है तो उन्हें बेडसोर होने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है। इसके अलावा वैसे मरीज़ जो व्हील चेयर wheelchair) पर लंबे समय तक बैठे रहते हैं, लेकिन व्हीलचेयर पर अपनी पोजीशन को नहीं बदल पाते हैं तो बेडसोर उन्हें हो सकता है।
बेडसोर से जुड़ी एक बात यह है कि यह एक-दो घंटे में भी हो सकता है तथा तेजी से फैलता है। बेडसोर का इलाज (बेडसोर ट्रीटमेंट) संभव है। लेकिन इसे काफी ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। लगातार बेडसोर ड्रेसिंग और इलाज की मदद सेठीक हो जाता है। लेकिन कई बेडसोर ऐसे होते हैं जो ठीक होने में बहुत ज्यादा समय लेते हैं या बुरी तरह ठीक नहीं होते हैं। हालांकि ऐसे मामले कम ही देखने को मिलते हैं। आमतौर से बेडसोर इलाज के बाद ठीक ही जाते हैं।
● बेडसोर का हिंदी मीनिंग – Bed sore Hindi meaning
अब तक आपको पता चल चुका है कि बेडसोर क्या है या बेडसोर क्या होता है (Bedsore kya hota hai). चलिए अब आपको ये बताते हैं कि bed sore Hindi mein क्या कहलाता है। तो Bedsore Hindi meaning की बात करें तो बेडसोर को हिंदी में दाब व्रण या बिस्तर घाव कहा जाता है। Bed sore Hindi mein बिस्तर पीड़ादायक नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इन सब को छोड़ कर आमतौर से इसे सिर्फ बेडसोर या प्रेशर सोर (Bed sore या Pressure sore) ही कहा जाता है।
● बेडसोर के लक्षण – Be dsore Symptoms in Hindi
बेडसोर का लक्षण (Be dsore ka lakshan) की बात करें तो बेडसोर के लक्षण निम्नलिखित हैं –
- ऐसी जगह जहां बेडसोर होने का खतरा होता है वहां की त्वचा का रंग बदल जाना।
- त्वचा का रंग लाल या काला दिखने लगता है।
- उस हिस्से में सूजन भी देखने को मिल सकता है।
- घाव से पानी या पीप जैसा निकलना।
- जहां पर बेडसोर हुआ है वहां पर की त्वचा छूने पर बिल्कुल ठंडी या बहुत ज्यादा गर्म लग सकता है।
- छूने पर काफी तेज दर्द करना।
- बेडसोर का लक्षण (Bedsore ka lakshan) यह भी है कि बाहर से त्वचा के रंग में हल्का परिवर्तन दिखता है। या उस जगह पर हलका छूने पर बहुत ज्यादा ठंड या गर्म लग सकता है। इसके अलावा बाहर बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होते हैं। लेकिन अंदर ही अंदर पूरे घाव बन जाता है।
● बेडसोर कहाँ हो सकता है – Common sites of pressure ulcers in Hindi
जैसा कि ऊपर बताया कि बेडसोर आमतौर से एड़ी, कमर कंधे इत्यादि के आसपास होते हैं। लेकिन Bedsore और कहां होगा यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मरीज अपना ज्यादा समय कहां बिताता है।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई मरीज ज्यादा समय व्हीलचेयर (Wheelchair) पर बिताता है तो उसे कमर के ठीक नीचे यानी टेल बोन वाले हिस्से पर हो सकता है। शोल्डर ब्लेड या रीड के हड्डी के आसपास भी ऐसे मरीज को बेडसोर होने का खतरा रहता है। इसके अलावा हाथ के पीछे तथा जांघों के पीछे वैसी जगह पर बेडसोर हो सकता है जो ज्यादातर व्हीलचेयर के सपोर्ट में रहता है।

वैसे मरीज जो ज्यादा समय अपना बिस्तर पर सो कर बताते हैं, उनमें पीठ के किसी हिस्से पर या सर के पिछले हिस्से पर बेडसोर हो सकता है। हालांकि यह बहुत कम होता है। आमतौर से शोल्डर ब्लेड, कमर, लोअर बैक और टेलबॉन के आसपास ऐसे मरीज को बेडसोर होता है। इसके अलावा एड़ी, एंकल तथा घुटने के पीछे वाले हिस्से में बेडसोर हो सकता है।
● बेडसोर का कारण – Bedsore cause in Hindi
बेडसोर की समस्या वैसे मरीज में देखने को मिलता है जो ऐसी बीमारी से ग्रसित है, जिनमें उनके शरीर के किसी खास हिस्से में महसूस होना बंद हो जाता है। या वैसे मरीज जो अपनी स्थिति को बोलकर नहीं बता सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई Paraplegia या Quadriplegia का मरीज है तो उसे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal cord injury) के नीचे कुछ भी महसूस नहीं होता है। ऐसे में किसी जगह पर लगातार प्रेशर पढ़ने से बेडसोर होने लगता है।
इसी तरह अगर कोई ऐसा मरीज है जिसे हेड इंजरी (Head injury) हुआ या ऐसी स्थिति हुई है जिससे वह अपनी स्थिति को बता नहीं सकता यह बोलने की क्षमता चली जाती है तो वह अपनी परेशानी को नहीं बता पाता है तथा ऐसे में उन्हें बेड सोर होने का खतरा हो जाता है।
बेडसोर होने का कारण जो सबसे बड़ा है, वह यह है कि जब एक लगातार 3 से 4 घंटे तक शरीर के किसी खास हिस्से पर लगातार दबाव बना रहता है तो वैसे ही जगह पर खून का दौरा काफी कम हो जाता है। खून उस जगह पर कम पहुंच पाता है जहां दबाव बना होता है। ऐसे में तो वहां बेडसोर होना शुरू हो जाता है।
बेडसोर का सबसे बड़ा कारण प्रेशर को माना गया है। इसके अलावा वैसे मरीज जिसके शरीर का किसी खास हिस्सा लगातार किसी अन्य चीजों से रगड़ खाता हो तो उसे भी बेडसोर हो सकता है। या किसी खास चीज़ पर लगातार घरसन होने की वजह से भी उस हिस्से में bedsore हो सकता है।
● बेडसोर होने का खतरा किसे अधिक है – Bedsore Risk factors in Hindi
बेडसोर आमतौर से पैसे मरीज में बहुत ज्यादा देखने को मिलता है जो अपनी ताकत से करवट बदलना या अपनी मर्ज़ी से स्थिति को बदल नहीं पाते हैं। जैसे कि एक पैरा प्लेजिया का मरीज या क्वाड्रीप्लेजिया का मरीज हो तो उसमें बेडसोर होने का खतरा अधिक रहता है। यानी कि स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal cord injury) के मरीजों में बेडसोर आमतौर से हो जाता है। इसके अलावा वैसे मरीज जो बिल्कुल चल फिर नहीं पा रहे हैं या अपनी ताकत से शरीर में कोई हरकत नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें भी बेडसोर हो सकता है।
आमतौर से स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (Spinal Cord Injury) या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorders) होने पर या इसके अलावा कई ऐसी स्थिति होती है जिसमें मरीज को कुछ भी महसूस होना यानी फीलिंग या सेंसेशन बिल्कुल खत्म हो जाता है. तो उसे दर्द का एहसास नहीं हो पाता है। ऐसे में एक लगातार किसी जगह पर प्रेशर पड़ने पर भी वह अपनी स्थिति नहीं बदल पाता है. यही आगे चलकर बेडसोर का कारण बन जाता है।
इसके अलावा इन परेशानियों से जूझ रहे मरीज अपनी मर्जी से करवट नहीं बदल पाते हैं। या हाथ पैर की स्थिति भी बदलने के लिए वह दूसरे पर निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में जल्दी-जल्दी पोजिशन न बदलने पर बेडसोर होने का खतरा बहुत ज्यादा हो जाता है।
● बेडसोर से बचाव के उपाय – Bedsore Prevention in Hindi
बेडसोर वैसे व्यक्ति में देखने को कम ही मिलता है जिनमें सेंसेशन होता है। बेडसोर ज्यादातर स्पाइनल कॉर्ड की बीमारी से ग्रसित मरीजों में देखने को मिलता है। इसके साथ ही यह वैसे मरीज में भी देखने को मिलता है जिन्हें महसूस होना बंद हो जाता है। ऐसे में बेडसोर से बचाव के उपाय में मरीज से ज्यादा भूमिका मरीज के अटेंडेंट या मरीज की देखभाल करने वालों की होती है।
अगर कोई ऐसा मरीज है जिसे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हुई है या कुछ ऐसी बीमारी से ग्रसित है जिसमें उसे शरीर के किसी हिस्से में सेंसेशन नहीं है यानी कि वह कुछ भी महसूस नहीं कर पा रहा है। तो ऐसे मरीज की देखभाल कर रहे लोगों को चाहिए कि मरीज अगर सो रहा है तो प्रत्येक 2 घंटे पर उसकी पोजीशन बदलते रहे।
यानी कि अगर मरीज एक-दो घंटे तक अगर दाहिने करवट सोया है। तो 2 घंटे बाद उसे बाएं करवट सुलाएं। अगर मरीज सीधा सोया है तो उसे 2 घंटे बाद करवट करें। यानी कि प्रत्येक 2 घंटे पर पोजिशन बदलते रहना ही बेडसोर से बचाव का सबसे अहम तरीका है।
इसके अलावा यह करवट बदलना रात में भी सोते समय भी बहुत जरूरी है। अन्यथा एक से दो रात बाद ही मरीज को बेडसोर हो सकता है। कुछ मामलों में 4 से 5 घण्टे बाद ही Bedsore भी होते देखा गया है। इस लिए हर हाल में हर 2 घण्टे पर मरीज़ का करवट बदलते रहें।
अगर मरीज बैठा हुआ है तो चाहिए कि वह हर 20 से 25 मिनट बाद अपनी स्थिति को बदलता रहे। यानी कि अपनी जगह से थोड़ा बहुत हिलने डुलने की कोशिश करें।
अगर मरीज खुद हिलने बोलने की स्थिति में नहीं है तो मरीज की देखभाल कर रहे लोगों को चाहिए कि मरीज की स्थिति को हर आधे घंटे बाद बदलता रहे इसमें मरीज के हाथ पैर इत्यादि की भी स्थिति को बदला जाना चाहिए। अगर व्हीलचेयर पर मरीज बैठा हुआ है तथा अगर वह इस स्थिति में है कि उसके हाथ में ताकत है तो चाहिए कि वह दोनों हाथ की ताकत से हर आधे घंटे पर कुछ सेकंड के लिए अपने शरीर को ऊपर की तरफ उठा है। इससे बेडसोर का खतरा काफी हद तक चल जाता है।
इसके अलावा आजकल आधुनिक तरीके के व्हीलचेयर भी आ गए हैं जो कि लगातार प्रेशर को रिलीज करता रहता है। इससे मरीज को बेडसोर होने का खतरा कम हो जाता है। तो आप ऐसे मरीज जो कि हिलडुल नहीं सकते हैं या अपने आप स्थिति बदलने की हालत में नहीं है तो उनके लिए विशेष व्हीलचेयर (Special wheelchair) का इंतजाम करना चाहिए।
मरीज के नियमित रूप से साफ सफाई भी बेडसोर के खतरे को काफी कम करती है। तथा शरीर में होने वाले बदलाव पर नियमित नजर रखते रहे। जरा सी भी बदलाव होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। इससे बेडसोर होने का खतरा घटता है।
अगर मरीज को अस्पतालों में उपयोग होने वाले एलिवेटेड बेड पर रखा गया है तो ध्यान दें कि कभी भी 30 डिग्री से अधिक बेड को ना उठाएं। इससे अधिक ऊंचा होने पर भी कमर के नीचे बेडसोर होने का खतरा रहता है।
● बेडसोर के लिए एयर बेड – Airbed for bedsore in Hindi
बेडसोर से बचाव का जो सबसे बेहतरीन तरीका है, वह यह है कि जैसे ही दुर्भाग्य से कोई ऐसी स्थिति बनती है जिसमें मरीज Sensation चला जाता है, यानी मरीज पैरालाइसिस की स्थिति में है या स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की वजह से पैरा प्लेजिया अथवा क्वाड्रीप्लेजिया का शिकार हो गया है। तो तुरंत मरीज को एयर बेड या प्रेशर बेड (airbed or pressure bed) पर सुलाना चाहिए।

Airbed खास प्रकार का बिस्तर होता है जो कि मरीज के शरीर पर एक जगह लगातार प्रेशर नहीं बनने देता है। Air bed में में मशीन की मदद से हवा भरते रहते हैं तथा हवा का दबाव हमेशा बदलता रहता है। इससे बेडसोर होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
● एयरबेड कब तक उपयोग करें – airbed ka upyog kab tak karna chahiye
कुछ लोग ऐसी गलती करते हैं कि कुछ महीने तक एयर बेड उपयोग करने के बाद मरीज को airbed से हटा देते हैं। ध्यान दें कि अगर मरीज का sensation lost ही है, यानी अब तक मरीज को कुछ भी महसूस नहीं हो रहा है। तो बेड से हटाने की गलती ना करें।
मरीज को तब तक एयर बेड पर ही सुलाएं जब तक कि उसे महसूस होना शुरू ना हो जाए। ध्यान दें कि बेड सोर होने के लिए किसी एक जगह पर 3 से 4 घंटे तक ही लगातार दबाव पड़ना काफी है। इसलिए रात के समय अगर मरीज किसी एक पोजीशन में लगातार सोता है तो उसे बेडसोर होने का खतरा हो सकता है। इसलिए जब तक मरीज ठीक ना हो जाए या खुद रात में या कहीं भी सोते समय करवट बदलने लायक न हो, उसे Airbed या pressure bed पर ही सुलाते रहें।
● बेडसोर की जांच – Bedsore test in Hindi
आमतौर से बेडसोर की जांच के लिए किसी तरह के विशेष जांच की जरूरत नहीं होती है। इसके लक्षणों तथा मरीज़ से कुछ सवाल पूछ कर ही डॉक्टर पता लगा सकते हैं कि यह बेडसोर है। अगर स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ गई है तो कभी-कभी डॉक्टर बेडसोर की Severity को देखते के लिए एक्सरे करवा सकते हैं।
● बेडसोर का इलाज इन हिंदी – Bedsore Treatment in Hindi
बेडसोर के उपचार (Bed sore ka ilaj) या बेडसोर का उपचार (Bedsore ka upchar in hindi) की बात करें तो बेडसोर घाव का इलाज जितनी जल्दी संभव हो, उतनी जल्दी शुरू कर देनी चाहिए।
जैसे कि मरीज की त्वचा में कुछ असामान्य दिखाई देता है या बेडसोर के लक्षण जो ऊपर बताए गए हैं, उनमें से कुछ भी दिखाई देता है तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बेडसोर का इलाज (Bedsore ka ilaj) आमतौर से इसकी तीव्रता पर यानी इस बात पर निर्भर करता है कि बेडसोर का घाव कितना बड़ा है या कितना फैला हुआ है।
बेडसोर का उपचार शुरुआत में कुछ दवाओं तथा ड्रेसिंग के द्वारा किया जाता है। लगातार ड्रेसिंग के माध्यम से घाव को सुखाया जाता है। इसके अलावा अगर बेडसोर घाव ज़्यादा बड़ा है तथा घाव कुछ पुराना हो चुका है तो खराब हो चुके Tussue को डॉक्टर काट कर हटा सकते हैं। इसके बाद नियमित रूप से ड्रेसिंग करनी पड़ेगी।
बेडसोर का घरेलू इलाज की बात करें तो घर पर भी बेडसोर घाव की लगातार साफ सफाई एक्सपर्ट की देख रेख में होनी चाहिए। घर का कोई सदस्य भी इसे सीख कर कर सकता है। लगातार ड्रेसिंग तथा अच्छी देखभाल से बेडसोर ठीक हो जाता है। आमतौर से 1 से डेढ़ महीने में बेडसोर ठीक हो जाता है। इसके बाद भी सावधानी बहुत ज़रूरी है।
अगर बेडसोर लंबे समय तक ठीक नही हो पा रहा है तो संभव है ये आगे कुछ औए बीमारियों का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें।
● बेडसोर में भौतिक चिकित्सा – Physiotherapy in Bedsore in Hindi
अगर मरीज़ का पहले से फिजियोथेरेपी हो रही है तो बेडसोर होने की स्थिति में भी मरीज़ का Physiotherapy बंद न करें। इससे मरीज़ के शरीर की स्थिति बिगड़ सकती है। साथ ही मांसपेशियों में भी कड़ापन आना शुरू हो जाता है। इस लिए मरीज़ की Physiotherapy एक अच्छे Physiotherapist से करवाते रहें। बेडसोर कि गंभीरता के अनुसार Physiotherapist को बेडसोर में फिजियोथेरेपी देते समय सावधानी बरतनी होगी।
इस आर्टिकल में हमने बताने की कोशिश की है कि बेडसोर क्या है Bedsore kya hai, pressure sore ka hindi meaning kya hai. साथ ही हमने बेडसोर का इलाज बताए हैं. बेडसोर का कारण क्या है (Bedsore ka karan), बेडसोर से बचाव के उपाय क्या हैं। bed sore care in hindi, बेडसोर ट्रीटमेंट (Bedsore treatment in Hindi) बताने के साथ-साथ बाकी महत्वपूर्ण जानकारी भी दी है।
अगर आप इस बारे में कुछ और जानना चाहते हैं या फिजियोथेरेपी से संबंधित कुछ भी पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। ये आर्टिकल अगर आपको उपयोगी लगा हो तो इसे बाकी लोगों के साथ शेयर जरूर करें।
धन्यवाद