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अंतिम चरण की किडनी बीमारी – एन्ड स्टेज किडनी फेल्यर – end stage kidney failure in Hindi

● किडनी क्या है – What is Kidney in Hindi

हमारे शरीर में किडनी (गुर्दा) सेम के बीज के आकर का अंग है। यह हमारे शरीर में दो की संख्या में होता है। यह हमें जीवित रखने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। हमारे शरीर में किडनी प्रत्येक दिन लगभग 200 लीटर खून को साफ करता है तथा हमें स्वस्थ बनाए रखता है।

● किडनी के कार्य – Function of Kidney in Hindi

किडनी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है :

• यह खून से हानिकारक तत्वों को अलग करता है।
• शरीर में तरल पदार्थ (फ्लूइड) की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए किडनी पानी तथा नमक को नियंत्रित करता है।
• यह शरीर से अवांक्षित रसायनों तथा हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालता है।
• किडनी शरीर के कई क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन बनाता है।

● क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है – chronic kidney disease in Hindi

क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) धीरे – धीरे होने वाली एक बीमारी है जिसमें किडनी की संरचना तथा कार्य क्षमता में 3 महीने से ले कर साल भर में काफी बदलाव आ जाता है। किडनी के काम करने की क्षमता खत्म होने लगती है।

किडनी की बीमारी के 1 से ले कर 5 चरण (स्टेज) होते हैं। जब किडनी के काम करने की क्षमता केवल 15 % रह जाती है, तो इसे 5वें चरण की क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है। इसे एन्ड स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) कहा जाता है। इस चरण में आने के बाद मरीज़ को डायलिसिस या किडनी ट्रान्सप्लांट करवाने की आवश्यकता पड़ती है।

● अंतिम चरण के किडनी की बीमारी में इलाज के विकल्प

किडनी ट्रान्सप्लांट kidney transplant

अंतिम चरण के किडनी को बीमारी में अधिकतर मरीज़ के लिए किडनी ट्रान्सप्लांट सबसे बेहतर इलाज है। किडनी ट्रान्सप्लांट जीवन काल को बढ़ा देता है, ज़िंदगी की गुणवत्ता को बेहतर करता है तथा डायलिसिस से आज़ादी दिलवा देता है, यानी किडनी ट्रान्सप्लांट के बाद मरीज़ को डायलिसिस की आवश्यकता नही पड़ती है।

डायलिसिस dialysis

डायलिसिस खून से हानिकारक तत्वों तथा अधिक पानी को खून से अलग करने का कृत्रिम तरीका है। डायलिसिस के निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं :

हेमोडायलिसिस : hemodialysis इस प्रक्रिया के तहत मशीन के द्वारा अस्पताल में या किसी डायलिसिस विभाग में खून को साफ किया जाता है।

पेरिटोनियल डायलिसिस : peritoneal dialysis इस प्रक्रिया में एक खास फ्लूइड सीधे आपके पेट में डाल दिया जाता है। यह एक दिन में 4 बार किया जाता है या पूरी रात के लिए भी किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत फ्लूइड के रूप में डायलीसेट डाला जाता है। इसकी खासियत यह है की यह शरीर में जाने के बाद खून में मौजूद सभी आवांक्षित तत्वों को सोख लेता है। फिर यह फ्लूइड शरीर से बाहर भी कृत्रिम रूप से कर दिया जाता है।

कोई डायलिसिस नही : कुछ मरीज़ डायलिसिस न करवाने का भी विकल्प चुनते हैं। इसे डायलिसिस इलाज की बजाय पारंपरिक इलाज कहा जाता है। यह सामान्यतः वैसे मरीज़ के लिए अपनाया जाता है जो किडनी की समस्या के साथ साथ किसी अन्य बीमारी से भी ग्रसित होते हैं। ऐसे में डायलिसिस उन्हें उचित नही लगता है। अगर मरीज़ की उम्र काफी अधिक है, तो उस स्तिथि में भो डायलिसिस द्वारा इलाज की बजाय पारंपरिक इलाज का रास्ता चुनना सही होता है।

नोट- इस लेख में बताई गई जानकारियों को केवल जानकारी के तौर पर ही लें। इलाज संबंधित कोई भी फैसला डॉक्टर की सलाह पर ही लें।

धन्यवाद

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