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इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) एक सामान्य रुप से होने वाली बीमारी है जो कि बड़ी आंत को प्रभावित करता है। इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम होने की स्थिति में तेज पेट दर्द, पेट में बेचैनी, बड़ी आंत में सूजन, गैस, डायरिया या कब्ज़ की समस्या होती है। ये सभी समस्याएं लंबे समय के लिए नहीं होती है। इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम बड़ी आंत को हमेशा के लिए नुकसान भी नही पहुंचाता है।

इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम को हिंदी में क्षोभी आंत्र विकार या आईबीएस (IBS in Hindi) के नाम से भी जाना जाता है।

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के कारण – irritable bowel syndrome Cause in Hindi

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम होने के कारण का पता नही चल सका है। सामान्य परिस्थिति में बड़ी आंत के भीतरी परत पर मौजूद मांसपेशियां एक समान गति और अंतराल पर सिकुड़ता (कॉन्ट्रैक्ट) और फैलता (रिलैक्स) है। इस कारण पेट में मौजूद पदार्थ बड़ी आंत से होते हुए आराम से मलाशय तक आ जाता है। लेकिन इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की स्तिथि में आंतों का सिकुड़ना और फैलना असामान्य रूप से होने लगता है।

इसमें आंत तेज़ी से और सामान्य से अधिक समय तक सिकुड़ा हुआ रहता है। इस कारण यहां से पदार्थ काफी तेजी से गुजरने लगता है। इस कारण बड़ी आंत में गैस बनने के साथ साथ सूजन भी आ जाता है। मरीज डायरिया का भी शिकार हो जाता है।

कुछ मामलों में इसके उलट भी हो जाता है। आंत से जाने वाला भोजन काफी धीरे धीरे जाने लगता है। तथा मल कड़ा और सूख जाता है। इस कारण बड़ी आंत में गैस बनने लगता है। जिस कारण वह सामान्य से अधिक फैलने लगता है इस वजह से मरीज काफी अधिक दिक्कत का सामना करता है। ऐसा नर्वस सिस्टम या बड़ी आंत के ही कुछ समस्या के कारण हो सकता है। ऐसा सामान्यतः कुछ असामान्य खाने, अधिक तनाव या हॉरमोन में हुए बदलाव के कारण होता है।

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम किसे होने की अधिक संभावना है – irritable bowel syndrome risk Factor

irritable bowel syndrome अधिक्तर नौजवानों को खास कर पुरुषों को अधिक होता है। अगर पहले आपके परिवार में किसी को इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम हुआ है तो आपको भी होने की अधिक संभावना रहती है।

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण – irritable bowel syndrome symptoms in Hindi

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण अलग – अलग व्यक्ति में अलग – अलग हो सकते हैं। इसके साथ कुछ अन्य बीमारी के पहले से ही होने की स्तिथि में भी इसके लक्षण बदल जाते हैं। सामान्य रूप से दिखने वाले लक्षण निम्नलिखित है।

• पेट में दर्द और बेचैनी
• पेट में सूजन महसूस करना
• पेट में अधिक गैस बनना
• मल में म्यूकस (चिपचिपे पदार्थ) का आना
• डायरिया या कब्ज़, कुछ परिस्थिति में डायरिया और कब्ज दोनो ही होता है।

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लिए जांच – irritable bowel syndrome test in Hindi

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (irritable bowel syndrome) के जांच के लिए मरीज के पिछले मेडिकल इतिहास को देखा जाता है। साथ ही शारीरिक जांच भी की जाती है।

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम का जांच के लिए तय मापदंड –

आपके द्वारा बताए गए लक्षणों के आधार पर डॉक्टर देखता है कि वह इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षणों से कितना मिलता है। इसके अलावा डॉक्टर यह भी देखता है कि आप के बताए लक्षण किसी और बीमारी की ओर तो इशारा नही कर रहे हैं। कुछ लक्षणों जैसे 50 वर्ष से अधिक की उम्र होने, कम वजन, रेक्टल ब्लीडिंग, बुखार, मतली आने या बार बार उल्टी आने, पेट दर्द, डायरिया के ऐसे लक्षण जिसमें सोए रहने के बाद भी नींद खुल जाए तब डॉक्टर आपको कुछ और जांच के लिए बोल सकता है।

अगर आप केवल इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के शिकार ही पाए जाते हैं, तो फिर किसी भी तरह के अन्य जांच कराने की आवश्यकता नही है। इसके लक्षणों के आधार पर ही इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का इलाज शुरू कर दिया जाता है। अगर शुरुआती इलाज से आपको लाभ नही मिलता है, तो इसके बाद आपको कुछ अन्य जांच करवाने पर सकते हैं।

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के ठीक न होने पर होने वाले अन्य जांच

irritable bowel syndrome के शुरुआती इलाज में लाभ न मिलने पर डॉक्टर आपको स्टूल टेस्ट करवाने के लिए कह सकता है। ऐसा इन्फेक्शन, इनफ्लामेशन या संभावित कैंसर का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा आपको निम्नलिखित जांच करवाने पर सकते हैं।

• सिगमोइडोस्कोपी (बड़ी आंत की जांच के लिए किया जाता है)
• कोलोनोस्कोपी
• हाइड्रोजन ब्रेथ टेस्ट
• खून जांच
• सिटी स्कैन

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम का इलाज – irritable bowel syndrome treatment in Hindi

irritable bowel syndrome ka ilaj की बात करें तो इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की पुष्टि होने के बाद इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का इलाज का मुख्य उद्देश्य जल्दी से जल्दी मरीज को लक्षणों से राहत पहुंचाने की होती है। ताकि जहां तक संभव हो, आप सामान्य रूप से रह सके।

अधिक्तर मौकों पर आप इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के शुरूआती लक्षणों को केवल अपने रहन सहन, खान पान और तनाव को ही नियंत्रित कर के आराम पा सकते हैं। अगर इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण ज़्यादा तकलीफ दे रहे हैं, तो आपको डॉक्टर के बताए अनुसार इलाज कराना होगा।

नोट- इस लेख में बताई गई जानकारियों को केवल जानकारी के तौर पर ही लें। इलाज संबंधित कोई भी फैसला डॉक्टर की सलाह पर ही लें

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