किसी के लिए भी संतान प्राप्ति एक बड़ा सुख का क्षण होता है। लेकिन कुछ दंपत्ति इस सुख से वंचित रह जाते हैं। इसके कई अलग – अलग कारण हो सकते हैं। समय के साथ मेडिकल फील्ड के एडवांस होने के साथ उन समस्याओं में से कुछ का निदान भी काफी हद तक खोज लिया गया है। इससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। उसी में एक तकनीक को Intrauretine Insemination – IUI के नाम से जाना जाता है। आज आपको iui hindi me बताएंगे।
जब लंबे प्रयास के बाद भी महिला प्रेग्नेंट नही हो पाती है, तब इस तकनीक का उपयोग किया जाता है। वर्तमान समय में बड़े स्तर पर महिलाओं द्वारा IUI तकनीक का उपयोग प्रेग्नेंट होने के लिए किया जा रहा हैं। अगर आप भी IUI तकनीक का सहारा लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके लिए ज़रूरी है कि आप इस तकनीक के बारे में अच्छे से जान लें। इस लेख में आपको इस तकनीक के बारे में ही पूरी जानकारी दी गयी है। प्रमुख बातों को बिंदुवार तरीके से बताया गया है। इस लिए इससे जुड़ी सभी छोटी – बड़ी बातों को जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।
सबसे पहले बात करते हैं, की इंट्रायुरेटाइन इनसेमिनेशन या आई यू आई क्या है – iui kya hai
वर्तमान समय में IUI तकनीक बड़े स्तर पर उपयोग में है। जब महिला सामान्य रूप से गर्भधारण करने में सफल नही हो पाती है, तब उस स्तिथि में IUI तकनीक काफी कारगर साबित होता है। इसे हिंदी में अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान कहा जाता है। IUI की खास बात यह है कि इस तकनीक के तहत प्रेग्नेंसी बिल्कुल प्राकृतिक रूप से ही होती है। इसमें केवल स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब में कृत्रिम (Artificially) रूप से डाला जाता है।

यह एक बेहद ही आसान और सरल तरीका है। यह एक फर्टिलिटी क्लिनिक पर विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा किया जाता है। IUI तकनीक के तहत IUI कैथेटर की मदद से स्पर्म सीधे महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि यह तकनीक तभी अपनाया जाता है, जब लंबे समय के प्रयास के बाद भी गर्भधारण नही हो पाता है।
• IUI के बाद क्या करें – things to do after iui process
IUI तकनीक एक बेहद ही सरल तकनीक है। इस कारण इसे करने के बाद किसी प्रकार के लंबे आराम इत्यादि की ज़रूरत नही होती है। हालांकि पहले यह माना जाता था कि IUI के बाद बेड रेस्ट करने से प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन अब ऐसा नही है। IUI के होने के तुरंत बाद महिला को केवल 10 से 15 मिनट के लिए नीचे लिटा दिया जाता है। इसके बाद महिला सामान्य जीवन में वापस आ जाती है। हालांकि इसके साथ कुछ सावधानी भी बरतने की ज़रूरत होती है।
यूं तो IUI एक सरल और आसान प्रक्रिया है। लेकिन इसके होने के बाद महिला पेट में थोड़ा दर्द तथा हल्का सर दर्द महसूस कर सकती है। कुछ स्तिथि में महिला को थोड़ा चक्कर भी आ सकता है या वह कुछ बेचैनी महससू कर सकती है। इस लिए IUI प्रक्रिया के बाद एक दिन का आराम लेना सही रहता है।
IUI के बाद विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसके भाड़ी सामान उठाने या तनाव वाले व्यायाम करने से महिला को बचना चाहिए। इसके अलावा IUI के तुरंत बाद नहाने और तैराकी की मनाही है। इससे इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
• IUI के बाद कैसा महसूस होता है – Condition After iui process
इंट्रायुरेटाइन इनसेमिनेशन प्रक्रिया के बाद निम्नलिखित चीज़ें सामान्य रूप से महसूस किया जा सकता है।
• IUI के बाद वेजाइनल डिस्चार्ज आना बिल्कुल सामान्य है। इससे घबराने की बात नही है। यह डिस्चार्ज IUI प्रक्रिया के दौरान सर्विक्स से आने वाला म्यूकस होता है।
• थोड़ी वेजाइनल ब्लीडिंग (स्पॉटिंग) भी महसूस हो सकता है। यह सामान्य है।
• कुछ परिस्थितियों में IUI के कुछ दिन बाद तक महिला हल्का क्रैम्प, बेचैनी, चक्कर इत्यादि महसूस कर सकती है। ऐसा होना कोई अधिक चिंता की बात नही हैं। केवल कुछ और दिन आराम करें। क्रैम्प से आराम के लिए आप पेनकिलर ले सकती हैं। अगर यही लक्षण काफी तेज हो जाता है, या आप सूजन महसूस करती हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
• IUI के 48 घण्टे बाद सब कुछ सामान्य रहने पर संबन्ध बनाने की अनुमति है। यह कुछ हद तक IUI के बाद फायदेमंद भी है।
• IUI के बाद प्रत्यारोपण (Implantation) में कितना समय लगता है?
IUI प्रक्रिया के लिए मासिक चक्र पर कड़ी नजर रखा जाता है। IUI की प्रक्रिया अण्डोत्सर्ग (Ovulation) के 1 घण्टे के अंदर ही अंदर करना होता है। कुछ मामलों में यह बदल भी सकता है। चूंकि फर्टिलाइजेशन के लिए अंडा केवल 12 से 24 घण्टे के लिए ही उपलब्ध रहता है, इस क्षण प्रत्यारोपण की प्रक्रिया ओवुलेशन के साथ ही शुरू हो जाती है।
फर्टिलाइजेशन के लिए ज़रूरी है कि एग और स्पर्म फर्टाइल पीरियड में ही मिलें। इम्प्लांटेशन में कुल मिला कर 3 से 12 दिन का समय लगता है। सामान्यतः 45 प्रतिशत महिलाओं में इम्प्लांटेशन 9वें दिन हो जाता है।
• IUI के बाद प्रत्यारोपण ( iui Implantation success ) के लक्षण – iui success symptoms
इम्प्लांटेशन के लक्षण अधिक्तर कन्फ्यूज करने वाले या ऐसे होते हैं कि वह जानकारी में भी नही आ पाता है, और महिला बिना किसी खास इम्प्लांटेशन लक्षण के ही प्रेग्नेंट हो जाती है। ऐसा इस कारण होता है, क्यों कि इसके लक्षण काफी हद तक मासिक धर्म के शुरुआती लक्षण एवं IUI के बाद होने वाले लक्षण जैसे ही होते हैं। इस कारण भ्रम की स्तिथि बन जाती है। हालांकि कुछ महिलाओं में इम्प्लांटेशन के साफ लक्षण दिखाई देते हैं। वह लक्षण निम्नलिखित हैं।
• क्रैम्प – यह लक्षण पीरियड्स के भी शुरुआती लक्षणों में है। लेकिन IUI प्रक्रिया के बाद प्रेग्नेंट होने वाली 30 से 35 प्रतिशत महिलाओं में इम्प्लांटेशन के होने पर क्रैम्प देखा गया है। इसके साथ ही पेट में ऐंठन तथा पेट बिल्कुल भरा – भरा लग सकता है। इसके अलावा नाभि के नीचे तनाव तथा गैस का दर्द महसूस हो सकता है।
• स्पॉटिंग – जैसे ही इम्प्लांटेशन होता है, यूटेराइन सेल्स यूटेरस की दीवार से अलग होने लगते हैं। इम्प्लांटेशन के फलस्वरूप पीरियड्स के मिस होने पर यही अलग हुए यूटेराइन सेल्स वेजाइनल डिस्चार्ज के रूप में बाहर आ जाते हैं। इसमें स्पॉटिंग (कुछ खून के धब्बे) आसानी से दिख सकते हैं। लेकिन यह स्पॉटिंग पीरियड से अलग होता है। पीरियड्स में यह लाल रंग का होता है। लेकिन इम्प्लांटेशन की स्तिथि में यह हल्के भूरे रंग का या गुलाबी रंग का होता है। हालांकि इसकी मात्रा बेहद ही कम होती है। यह बात ध्यान में रखने वाली है कि ऐसा IUI कैथेटर की वजह से भी हो सकता है। फिर भी इसे इम्प्लांटेशन के एक लक्षण के रूप में माना गया है।
● इंट्रायुरेटाइन इनसेमिनेशन (IUI) से जुड़े सामान्य रूप से पूछे जाने वाले प्रश्न – common Question related to iui
• IUI प्रक्रिया से कितने समय पहले स्पर्म कलेक्ट किया जाता है?
व्यक्ति दर व्यक्ति यह बदलता रहता है। सामान्यतः पुरुष के लास्ट इजाकुलेशन के 72 घण्टे के अंदर ही स्पर्म क्लेट कर लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है। अगर IUI की वजह कम स्पर्म काउंट है, तो इजाकुलेशन के 48 घण्टे बाद स्पर्म कलेक्ट करना सही है।
• IUI के लिए उचित समय क्या है?
IUI की प्रक्रिया ओवुलेशन के 6 घण्टे पहले या 6 घण्टे बाद कि जाती है। अगर ओवुलेशन hCG पर निर्भर है तो IUI ओवुलेशन के 24 से 48 घण्टे के बीच किया जाता है। अगर दो IUI किया जाना है, तो इन दोनों के बीच कम से कम 24 घण्टे का अंतर होना चाहिए।
IUI का सफलता प्रतिशत कितना है? – iui rate of success
यह एक आसान प्रक्रिया है। इसका सफलता प्रतिशत मल्टीप्ल चक्र के लिए 50 प्रतिशत तक है।
• IUI पर कितना खर्च आता है – iui cost in india
IUI कर आने वाला खर्च अलग अलग शहर और देश के अनुसार अलग अलग हो सकता है। औसतन इसपर 10000 से 35000 हज़ार तक खर्च आ सकता है। हालांकि IUI Process से पहले कई अलग अलग तरह के टेस्ट होते हैं तथा दवाइयां दी जाती है। ऐसे में यह खर्च इससे बढ़ भी सकता है।
• वाश किया हुआ स्पर्म कितने समय तक रहता है?
Washed Sperm (सीमेन से अलग किया हुआ स्पर्म) 24 से 72 घण्टे तक रहता है। हालांकि 24 घण्टे बाद ही इसकी क्षमता में कमी आ जाती है। इसके अलावा निषेचित म्यूकस में स्पर्म 5 दिन तक रह सकता है।
• IUI के बाद क्या स्पर्म बाहर आ सकता है?
जब एक बार स्पर्म को गर्भाशय में इंजेक्ट मर दिया जाता है तो यह फिर बाहर नही आ सकता है। हालांकि वेजाइनल एरिया में कुछ नमी महसूस हो सकती है। ऐसा कैथेटर द्वारा सर्विक्स में म्यूकस के रिलीज़ करने के कारण होता है।
अगर इस विषय से संबंधित कोई अन्य जानकारी चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
धन्यवाद