जब किडनी काम करना बंद कर देता है तो उस स्तिथि में किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है। अंतिम स्टेज के किडनी बीमारी के लिए सबसे बेहतर इलाज किडनी ट्रान्सप्लांट को ही माना जाता है। किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया में एक बड़े ऑपरेशन के माध्यम से एक डोनर की किडनी को मरीज़ के फेल हो चुके किडनी के स्थान पर लगाया जाता है।

• डोनर कोई जीवित व्यक्ति हो सकता है या किसी मृत व्यक्ति का भी किडनी लगाया जा सकता है। भारत में होने वाले अधिक्तर किडनी ट्रान्सप्लांट में डोनर जीवित व्यक्ति ही होते है।
● किडनी ट्रांसप्लांट डोनर के प्रकार – types of kidney transplant donors
• ब्लड ग्रुप कॉम्पेटिबल ट्रान्सप्लांट (Blood group compatible transplant) – इसमें डोनर का रक्त समूह या तो ओ (O) हो या फिर वह जो की मरीज़ का है।
• ब्लड ग्रुप इंकॉम्पेटिबल ट्रान्सप्लांट (Blood group incompatible transplant)-
इसे ABO incompatible transplant भी कहा जाता है। जस प्रकार में मरीज़ से डोनर का ग्रुप नही मिल पाता है। इस कारण इस प्रकार का प्रत्यारोपण प्रक्रिया अधिक जटिल होता है। इसमें मरीज़ को प्लाज्माफेरेसिस से गुज़रना होता है। इसके अलावा ब्लड ग्रुप कॉम्पेटिबल ट्रान्सप्लांट के मुकाबले दवाइयां भी अधिक लेनी होती है। ऐसा रोग प्रतिरोधक क्षमता को दबाने के लिए किया जाता है।
● किडनी ट्रांसप्लांट के फायदे – kidney transplant benefit in Hindi
• ज़िंदगी बेहतर हो जाती है तथा जीवित रहने की भी संभावना बढ़ जाती है।
• अगर किडनी ठीक ढंग से काम कर रह है तो डायलिसिस की ज़रूरत नही पड़ती है।
• पानी पीने पर किसी तरह की रोक नही होती है।
• किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीज़ काफी बेहतर महसूस करने लगता है। इस कारण उसके शारीरिक, मानसिक स्तिथि में अच्छे बदलाव देखने को मिलते हैं। स्वभाव भी बेहतर हो जाता है।
● किडनी प्रत्यारोपण के नुकसान – kidney transplant side effect in Hindi
• आपको ज़िंदगी भर दवाओं का सेवन करना पड़ेगा। इसके अपने अलग दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
• किडनी के पुनः फेल होने (रिजेक्शन) का खतरा बना रहता है।
• किसी भी अन्य बड़े ऑपरेशन के दौरान तथा बाद भी खतरा बना रहता है।
• कुछ साल बाद किडनी फिर फेल हो सकता है। इस स्तिथि में फिर से आपको डायलिसिस का सहारा लेना पड़ेगा।
● किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीज़ के लिए सुझाव या किडनी ट्रांसप्लांट के बाद परहेज
• बिल्कुल तय समय पर दवाई लें।
• बाहर का खाना या कच्चा खाना न खाएं। अगर घर पर पूरी सफाई के साथ बनाया गया है तो मनाही नही है।
• नियमित व्यायाम करें।
• संक्रमण से बचे, भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने, कम साफ सफाई वाले खाने या पानी के सेवन इत्यादि से बचें।
• अधिक से अधिक पानी पिएं।
• डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाओं के अलावा किसी भी अन्य दवाइयों का सेवन न करें।
नोट- इस लेख में बताई गई जानकारियों को केवल जानकारी के तौर पर ही लें। इलाज संबंधित कोई भी फैसला डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
धन्यवाद
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