● पेरिटोनियल डायलिसिस – Peritoneal dialysis
पेरिटोनियल डायलिसिस (पीडी) डायलिसिस का एक वैकल्पिक तरीका है। इसमें मरीज़ का डायलिसिस घर पर ही किया जाता है तथा उसे सप्ताह में 3 दिन अस्पताल या डायलिसिस विभाग में नही जाना पड़ता है। लेकिन इस स्तिथि में एल बात ध्यान में रखना है की नियमित रूप से आप डॉक्टर के संपर्क में बने रहें।
ये प्रक्रिया किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीज़ो में किया जाता है। क्रोनिक किडनी बीमारी के बारे में और अधिक आप इस लिंक पर जा कर जान सकते हैं।
पेरिटोनियल डायलिसिस के लिए एक छोटे ऑपरेशन के द्वारा एक कैथेटर मरीज़ के पेट में डाला जाता है। कैथेटर को पेट में डालने के 2 सप्ताह बाद कैथेटर का उपयोग डायलिसिस के लिए किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में आपके पेट में कैथेटर के माध्यम से एक तरल पदार्थ, जिसे डायलिसिस सॉल्यूशन (Dialysis Solution) कहा जाता है, भर दिया जाता है।
आपका पेट पेरिटोनियम के पड़त से जुड़ा हुआ होता है। इसी पेरिटोनियम के द्वारा आपके खून से आवांक्षित पदार्थ तथा अनावश्यक तरल पदार्थ डायलिसिस सॉल्यूशन में आ जाता है। ऐसा सॉल्यूशन में मौजूद डेक्सट्रोज के कारण होता है। जब शरीर से सॉल्यूशन को बाहर निकाल लिया जाता है तो उसके साथ सभी आवांक्षित पदार्थ भी बाहर आ जाते हैं। इस सॉल्यूशन को एक बार उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है।
शरीर में सॉल्यूशन के डालने तथा खाली करने की प्रक्रिया को एक्सचेंज की प्रक्रिया कहा जाता है। इसमें 30 से 40 मिनट का समय लगता है। वह समय जितनी देर सॉल्यूशन आपके पेट में रहता है, उस समय को ड्वेल टाइम कहा जाता है जो की 4 से 8 घँटे का होता है। एक दिन में 4 एक्सचेंज किए जाते हैं। सभी में ड्वेल टाइम 4 से 8 घण्टे होता है। इस प्रकार के डायलिसिस मे आपके शरीर पर कोई मशीन नही लगाया जाता है। अगर आप चाहें तो पेट में मौजूद सॉल्यूशन के साथ टहल भी सकते हैं।
एक अन्य प्रकार के Peritoneal Dialysis जिसे Automated peritoneal dialysis कहा जाता है, उसमें सॉल्यूशन को पेट में डालने तथा निकालने के लिए मशीन की ज़रूरत पड़ती है। यह प्रक्रिया रात में सोने के बाद की जाती है। इसमें रात भर में 5 एक्सचेंज किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में 8 – 10 घण्टे का समय लगता है।

● पेरिटोनियल डायलिसिस के लिए की जाने वाली तैयारियां – Preparation for peritoneal dialysis in Hindi
जब आप किसी भी प्रकार के पेरिटोनियल डायलिसिस करवाने जाते हैं तो पहले सपको एक ऑपरेशन से गुज़रना होता है। इस ऑपरेशन के द्वारा डायलिसिस के लिए पेट में एक कैथेटर डाला जाता है। यह कैथेटर एक ट्यूब होता है, जो की डायलिसिस के लिए पेट में सॉल्यूशन को डालने तथा निकालने के लिए उपयोग किया जाता है। कैथेटर लगाने के 2 सप्ताह बाद इसका उपयोग डायलिसिस के लिए कर सकते हैं।
● पेरिटोनियल डायलिसिस के फायदे – Benefit of peritoneal dialysis in hindi
• डायलिसिस की प्रक्रिया पर बेहतर नियंत्रण रहता है।
• किसी प्रकार के छेद करने की ज़रूरत नही होती है।
• सामान्यतः किसी प्रकार का दर्द नही होता है।
● पेरिटोनियल डायलिसिस के नुकसान – peritoneal dialysis Sideeffects in hindi
• एक दिन में कई बार इस प्रक्रिया से गुज़रना होता है।
• सॉल्यूशन को अपने साथ ले कर चलना होता है।
• कैथेटर लगाने के लिए एक छोटे ऑपरेशन से गुज़रना पड़ता है।
• पेरिटोनियल डायलिसिस के लिए सॉल्यूशन को जमा कर के रखना पड़ता है।
• कैथेटर संक्रमित हो सकता है।
• मरीज़ को हर्निया होने का खतरा है।
• कुछ साल बाद पेरिटोनियल डायलिसिस अप्रभावी हो सकता है। ऐसे में हेमोडायलिसिस करवाना पड़ेगा।
● पेरिटोनियल डायलिसिस में बचाव
पेरिटोनियल डायलिसिस की स्तिथि में पेरिटोनाइटिस होने का ख़तरा रहता है। यह पेरिटोनियम का संक्रमण है। पेरिटोनियल डायलिसिस के मरीज़ को इस संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके बचाव के उपाय तथा इंफेक्शन की संभावना को कम करने के तरीके नर्स द्वारा सिखाया जाता है।
नोट- इस लेख में बताई गई जानकारियों को केवल जानकारी के तौर पर ही लें। इलाज संबंधित कोई भी फैसला डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
धन्यवाद
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