अल्ट्रासाउंड थेरेपी – अल्ट्रासाउंड मशीन फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी मशीन है। इसका उपयोग बड़े स्तर पर किया जाता है। अल्ट्रासाउंड की मशीन से जो इलाज किया जाता है उसे ही अल्ट्रासाउंड थैरेपी कहा जाता है। Ultrasound therapy में अल्ट्रासाउंड एनर्जी का उपयोग व्यक्ति के ऊतकों पर इलाज के लिए किया जाता है।
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अब बात करते हैं, अल्ट्रासाउंड थेरेपी के फिजियोलॉजिकल इफेक्ट्स के बारे में
इस लेख में आज हम आपको अल्ट्रासाऊंड थेरेपी के इफेक्ट या अल्ट्रासाउंड थेरेपी के फिजियोलॉजिकल इफैक्ट्स के बारे में बताएंगे।
अल्ट्रासाउंड थेरेपी का फिजियोलॉजिकल इफेक्ट – Physiological effects of ultrasound therapy

अल्ट्रासाउंड थेरेपी एक तरह से डीप हीट थेरेपी ही है। इसलिए इसका भी प्रभाव काफी हद तक अन्य डीप हीट थेरेपी की तरह होता है। इसका मुख्य प्रभाव Tissue पर देखने को मिलता है। अल्ट्रासाउंड थेरेपी के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित है –
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी देने के बाद लोकल लेवल पर ऊतकों का तापमान बढ़ जाता है। यानी कि जिस स्थान पर अल्ट्रासाउंड थैरेपी दी जाती है वहां का तापमान कुछ देर के लिए बढ़ जाता है।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी टिशू सॉफ्टनिंग में बहुत प्रभावी साबित होता है। यह ऊतकों (Tissue) को शॉफ्ट बनाता है। इससे मरीजों को काफी आराम मिलता है।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी का जो सबसे बड़ा फायदा है वह यह है कि जहां पर अल्ट्रासाउंड थेरेपी दिया जाता है ल, वहां पर लोकल स्तर पर ब्लड सरकुलेशन काफी अच्छा हो जाता है। इससे उस स्थान पर फ्रेश ब्लड काफी अच्छे तरीके से मिलता है।
● केमिकल रिएक्शन- Ultrasound Therapy केमिकल रिएक्शन की दर को बढ़ाने में भी काफी प्रभावी साबित होता है। जिस स्थान पर अल्ट्रासाउंड थेरेपी दिया किया जाता है, वहां पर आसानी से टिशू में केमिकल रिएक्शन की दर बढ़ जाती है।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी टिशू परमीबिलिटी को भी बदल देता है। जिससे कि आवश्यक फ्लूइड और पोषक तत्व ऊतकों को बेहतर तरीके से मिल पाता है।
इन सभी फिजियोलॉजिकल प्रभाव के कारण ऊतकों में कई बदलाव होते हैं। इससे अल्ट्रासाउंड थेरेपी के बाद मरीज़ों को काफी आराम मिलता है।
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