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Physiotherapy for knee pain in Hindiघुटने का दर्द आज के समय में एक आम बीमारी बन चुकी है। बड़ी संख्या में लोग घुटना का दर्द झेल रहे हैं। खासकर उम्र बढ़ने के साथ घुटने का दर्द भी बढ़ने लगता है। लोगों के जेहन में काफी सवाल आने लगते हैं कि घुटने घुटने में दर्द क्यों होता है, या घुटने क्यों दर्द करते हैं। घुटने में दर्द का कारण क्या है। घुटना दर्द का इलाज क्या है। साथ ही अक्सर लोग पुछते हैं कि फिजियोथेरेपी फॉर कनी पािण (Physiotherapy for Knee pain) या घुटने के दर्द के लिए व्यायाम या Ghutne ke dard ki physiotherapy क्या है, वह बताइए।

अगर आप भी घुटना दर्द का कारण (Ghutna Dard ka Karan) या घुटना दर्द के उपाय (Ghutna Dard ka ilaj ) जानना चहते हैं, या आप जानना चाहते हैं कि घुटने में दर्द क्यों होता है तो इस लेख को आखिर तक पढ़ें।

इस आर्टिकल में हम आपको घुटना दर्द in Hindi तथा घुटना दर्द का एक्सरसाइज बताएं गे (Physiotherapy for knee pain in Hindi). साथ ही आपको ये भी पता चल जाएगा कि घुटना क्यों दर्द होता है। तो चलिए सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को बारी-बारी से देखते हैं।

सबसे पहले हम Ghutna Dard h indi (घुटना दर्द in Hindi) में जानते हैं

घुटनों का दर्द – Knee Pain in Hindi

हमारे शरीर के जोड़ो में होने वाले दर्दों में घुटना दर्द (Knee Pain) सबसे सामान्य रूप से होने वाला दर्द है। घुटना दर्द का कारण कई हैं। आमतौर से, हमारे शरीर में घुटना एक ऐसा जोड़ है, जो कि लगातार काम में ही रहता है। इस कारण उसे क्षतिग्रस्त होने का खतरा भी सबसे ज्यादा रहता है।


इसके अलावा इस ज्वाइंट की बनावट भी सबसे जटिल तरीके की होती है। इस कारण अलग-अलग कारणों से यहां दर्द होने की संभावना सबसे अधिक रहती है।

घुटना दर्द क्यों हो रहा है, इसे जानने के लिए सबसे पहले मरीज की जांच की जाती है। तथा यह देखा जाता है कि दर्द घुटने के किस हिस्से में हो रहा है। यानी कि दर्द घुटने के ठीक सामने है या नीचे है या बीच में है। इसके अलावा मरीज के काम को भी देखा जाता है कि वह कौन सा काम करता है। इसी के आधार पर भी Knee Pain Treatment Plan किया जाता है।

घुटना दर्द का कारण – Knee pain Cause in Hind

knee joint को hinge joint की श्रेणी में रखा जाता है। यह एक ऐसे जॉइंट है जिसमें है कई अलग-अलग bone शामिल होते हैं। इसके अलावा इस ज्वाइंट को मजबूती प्रदान करने के लिए तथा आपस में जोड़ने के लिए कई टेंडन तथा लिगामेंट्स होते हैं।
इसके अलावा इसके आसपास कई तरह के मांस पेशियां है जो कि जॉइंट्स को मजबूती प्रदान करती है। ऐसे में इन में से किसी एक में भी कुछ परिवर्तन होता है तो घुटना दर्द होने लगता है।


हालांकि घुटनों के दर्द के कुछ सामान्य कारणों की बात करें तो वह निम्नलिखित है –


अर्थराइटिस, ओस्टियोआर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस, लिगामेंट इंजरी, कॉलेटरल लिगामेंट, एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट, पोस्टीरियर क्रूसिएट इंजरी, स्ट्रेन, स्प्रेन इत्यादि इत्यादि।

ऊपर बताए गए कारणों के अलावा कई और कारण है जिससे घुटने का दर्द हो सकता है।

घुटना दर्द का इलाज – Knee Pain Treatment in Hindi

घुटने के दर्द का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है। सबसे पहले यह देखा जाता है कि घुटने के दर्द का कारण क्या है। तथा उसी आधार पर दवाइयां या एक्सरसाइज दी जाती है। समस्या बहुत अधिक होने पर Knee Replacement किया जाता है।

घुटने के दर्द के लिए जो सबसे असरकारक इलाज है, वह फिजियोथैरेपी मानी जाती है। तो चलिए आज आपको हम घुटने की फिजियोथेरेपी यानी Ghutno ke Dard ki Physiotherapy के बारे में ही विस्तार से बताते हैं। साथ ही घुटना दर्द का एक्सरसाइज भी बताएंगे। तो घुटना दर्द के उपाय को जानने के लिए आगे ध्यान से पढ़ें।

फिजियोथेरेपी फॉर कनी पािण,- Physiotherapy for Knee Pain in Hindi

Physiotherapy for knee pain in hindi

फिजियो थेरेपी के द्वारा घुटने के दर्द का इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है। तथा घुटने के दर्द (ghutne ki dard) के लिए फिजियोथेरेपी को फर्स्ट चॉइस ऑफ ट्रीटमेंट भी माना जाता है।

जैसे ही कोई मरीज किसी फिजियोथेरेपिस्ट के पास घुटने दर्द के लिए जाता है तो सबसे पहले घुटने की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए जांच तथा असेसमेंट (Evaluation and Assessment) की जाती है।

कुछ फिजियोथेरेपिस्ट जिन्हें अधिक जानकारी नहीं होती, वह यह गलती करते हैं कि जैसे ही कोई मरीज घुटने का दर्द लेकर आता है। उसे तुरंत कुछ प्रकार के मशीन लगा दी जाती है। यह ठीक तरीका नहीं है। इसलिए जैसे ही मरीज आता है, पहले मरीज़ के घुटना दर्द की ठीक से जांच की जाए तथा उसके बाद Treatment Plan किया जाए।

फिजियोथेरेपी में एक नियम है कि अगर कोई मरीज किसी भी जॉइंट का दर्द लेकर आता है तो, जहां दर्द हो रहा है उस जॉइंट के साथ-साथ उस जॉइंट के ठीक पहले वाले ज्वाइंट की तथा दर्द वाले जॉइंट के ठीक नीचे वाले एक जॉइंट की भी जांच की जाए।
यानी कि अगर कोई मरीज़ घुटने का दर्द लेकर आया है तो उसके Hip Joint तथा Ankle Joint की भी गहराई से जांच की जा। क्योंकि इनकी वजह से भी घुटनो का दर्द हो सकता है।

अगर इस तरीके से गहराई से जांच की जाती है तो सटीक इलाज चुनने में काफी मदद मिलती है। तथा मरीज का फायदा भी काफी होता है।

जांच के दौरान सबसे पहले यह देखना चाहिए कि दर्द किस प्रकार का है।

घुटना दर्द का प्रकार – Knee Pain types in Hindi

घुटने के दर्द के लिए फिजियोथेरेपी इलाज देने से पहले सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि दर्द किस प्रकार का है। घुटना दर्द किस प्रकार का है, इस बात का निर्धारण यह समझ कर किया जाता है कि दर्द कितने समय से हो रहा है।


घुटने के दर्द का प्रकार निम्नलिखित है –

  1. acute pain – वैसा दर्ज आमतौर से लगभग एक हफ्ता पूराना हो उसे एक्यूट पेन की श्रेणी में रखा जाता है। अक्सर ये दर्द कभी काफी तेज हो सकते हैं। तथा ये किसी स्पष्ट इंजरी की वजह से होते हैं।
  1. Sub Acute Pain (सब-एक्यूट नी पेन) – 2 से 6 हफ्ते पुराने दर्द को सब एक्यूट प्रकार के घुटनों के दर्द की श्रेणी में रखा जाता है। अगर कोई मरीज इतने पुराने दर्द को लेकर आता है तो बेहतर है कि तुरंत इलाज शुरू किया जाए तथा दर्द के कारण को समझते हुए उस आधार पर इलाज दिया जाए।
  2. Chronic Knee Pain in Hindi (क्रॉनिक नी पेन) – इस तरह का घुटना का दर्द आठ से 12 हफ्ता पुराना हो सकता है। इस तरह के दर्द में असेसमेंट काफी महत्वपूर्ण होता है। पहले दर्द के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जाती है। उसके बाद ही Ghutna Dard ka ilaaj शुरू होता है।

अब अगर एक फिजियोथैरेपिस्ट के तौर पर आप ने पता लगा लिया है कि दर्द किस प्रकार का है यानी दर्द कितना पुराना है। तब यह समझने की कोशिश करें कि दर्द घुटने के किस हिस्से में हो रहा है। क्योंकि नी ज्वाइंट एक काफी जटिल जॉइंट जिसमें कई अलग-अलग स्ट्रक्चर शामिल है। तथा किसी एक भी स्ट्रक्चर में दिक्कत होने पर दर्द हो सकता है। इसलिए Location of knee pain पता करें।

घुटना दर्द का क्षेत्र – Location of Knee Pain in Hindi

घुटनो के दर्द का लोकेशन निम्नलिखित तरीके के हो सकते हैं –

ठीक आगे की ओर घुटना का दर्द (Pain in the Front of Knee in Hindi)

अगर मरीज बताता है कि घुटने में दर्द ठीक घुटने के सामने हो रहा है। इसका मतलब यह दर्द संभवतः KneeCap या पटेला की वजह से हो सकता है।पटेला घुटने में पाए जाने वाला वह स्ट्रक्चर है जो कि एक चकरी की तरह होता है। तथा घूमता रहता है।
जब पटेला अपनी जगह से हट जाता है या इस पर कुछ समस्या आ जाती है तो इसके आसपास के टेंडन में सूजन आ सकता है। इस कारण घुटने में दर्द हो सकता है। इसे पटेल्लोफिमॉरल स्ट्रेस सिंड्रोम यानी PFSS के नाम से भी जाना जाता है।


ऐसा होने पर मरीज के घुटनों की एक्टिविटी कम हो जाती है। तथा वह आराम से घुटनों को मोड़ नहीं पाता है या पूरी तरीके से सीधा करने में भी दिक्कत होता है। इसके अलावा सीढ़ी चढ़ने, उतरने में भी काफी परेशानी होती है। इसके अलावा दौड़ने तथा जंपिंग में भी काफी दर्द होता है।

घुटनों का दर्द अंदर की ओर ( Pain on the inside of the knee in Hindi)

अगर मरीज को दर्द घुटने के अंदर की ओर हो रहा है। तो इसका मतलब है कि संभवतः मरीज़ को कॉलेटरल लिगामेंट (Collateral Ligament Injury) की इंजरी हुई है।
ऐसा दर्द अक्सर ऐसे लोगों को होता है जो कि अधिक भागदौड़ करते हैं। या ऐसे खेल में शामिल है जिसमें घुटनों पर अधिक जोर पड़ता है।

इसमें होता यह है कि मेनिस्कस तथा लिगामेंट में भी टियर हो जाते हैं जिस कारण दर्द होने लगता है। इस तरह के दर्द अर्थराइटिस की वजह से भी हो सकते हैं। हालांकि कभी-कभी यह दर्द बिना किसी अस्पष्ट कारण के भी हो सकते हैं।

बाहर की ओर होने वाला घुटनो का दर्द (Pain on the outside of the knee) –

अगर मरीज को घुटने में दर्द घुटने के बाहरी हिस्से में हो रहा है तो संभव है कि या कई अलग-अलग कारणों से हो सकता हैं। क्योंकि बाहर की और कई अलग-अलग तरह के स्ट्रक्चर्स पाए जाते हैं। तथा किसी में भी Stress होने की वजह से इस तरह के दर्द हो सकते हैं।
बाहरी हिस्से से कई तरह के लिगामेंट्स जाते हैं जो कि अक्सर खेलकूद के दौरान या दौड़ने के दौरान इंजर्ड हो जाते हैं। ऐसे में यह दर्द हो सकता है। घुटने के बाहर की ओर iliotibial Band Stress की वजह से भी दर्द हो सकता है।

इस तरह के इंजरी की पहचान यह है कि मरीज को दर्द बर्निंग सेंसेशन के साथ होता है। अगर ऐसा है तो यह iliotibial Band Stress की वजह से होने वाला दर्द है।
इसके अलावा घुटने के बाहरी हिस्से से ही तीन सबसे महत्वपूर्ण हैमस्ट्रिंग टेंडेन भी पास करते हैं। ऐसे में इन हैमस्ट्रिंग टेंडन स्ट्रेन होने की वजह से भी घुटनों का दर्द हो सकता है।
इसके अलावा घुटने के ठीक पीछे भी दर्द हो सकता है।

घुटनों के दर्द के लिए किए जाने वाले टेस्ट- Test for Knee Pain in Hindi

घुटने का दर्द किस लोकेशन पर हो रहा है तथा किस कारण से हो रहा है यह पता लगाने के लिए कई अलग-अलग तरह के नी लिगामेंट रेस्ट है इनसे आप पता लगा सकते हैं कि घुटनो का दर्द का कारण क्या हो सकता है।

ये टेस्ट निम्नलिखित हैं –

  1. एंटीरियर ड्रावर टेस्ट (Anterior Drawer Test)
  2. पोस्टीरियर ड्रावर टेस्ट (Posterior Drawer Test)
  3. वैल्गस स्ट्रेस टेस्ट ( Valgus Stress Test)
  4. वैरस स्ट्रेस टेस्ट (Varus Stress Test)

यह कुछ टेस्ट है जिसकी मदद से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि घुटना दर्द किस लोकेशन में है। तथा किस घुटना दर्द किस प्रकार का है तथा घुटना दर्द का कारण क्या हो सकता है।

अगर इन test से कुछ ज्यादा पता नहीं चलता है या फिर आप दर्द के वास्तविक कारण को कंफर्म करना चाहते हैं तो घुटने के एक्सरे भी करवा सकते हैं। हालांकि आमतौर से एक्सरे करवाने की जरूरत नहीं होती है। अगर मरीज की उम्र ज्यादा है तो बेहतर है कि एक्सरे करवा ले ताकि वास्तविक कारण का पता लग सके।

अब अगर सभी जांच हो गए हैं तो मरीज के घुटना दर्द का Treatment शुरू कर सकते हैं।

घुटना दर्द का इलाज फिजियोथेरेपी के द्वारा – Physio Therapy for Knee pain in Hindi

घुटना दर्द के उपाय के तौर पर फिजियोथेरेपी में कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। आप मरीज को ghutno ke dard ke liye Physiotherapy दे सकते हैं। इसके तहत मरीज को Exercise (Physio for Knee pain Exercise in Hindi) तथा कुछ मशीन लगाए जाते हैं।

Physiotherapy treatment plan Knee Pain के कारणों तथा मरीज की स्थिति को देखते हुए या जाता है। उसके लिए कई अलग-अलग तरह के एक्सरसाइज दिए जा सकते हैं।

घुटना दर्द के लिए एक्सरसाइज नीचे बताए जा रहे हैं – exercise for knee pain in hindi

RICE – एक्यूट प्रकार के घुटना दर्द के मरीजों के लिए जो सबसे बेहतर इलाज माना जाता है वह RISE है। RICE का फुल फॉर्म ( RICE in Physiotherapy in Hindi) R = Rest, I= Ice, C= Compression, E= Elevation होता है।

इसका मतलब यह है कि सबसे पहले पैर को पूरी तरीके से रेस्ट में रख दें। उसके बाद दर्द वाले हिस्से पर आइस यानी बर्फ का उपयोग करें। इसके अलावा घुटने के नीचे कुछ रखते हुए उसे कंप्रेस करें। इसके अलावा पैर को ऊपर की ओर उठाएं।
इससे काफी आराम मिलता है और खासकर Acute Pain में यह काफी कारगर साबित होता है। इस एक्सरसाइज को किसी विशेषज्ञ फिजियोथैरेपिस्ट से सीख कर घर में भी दोहरा सकते हैं।

Quad Sets – मरीज को बेड पर पैर सीधा करके बैठने के लिए कहे। घुटने के ठीक नीचे एक तौलिए या चादर को मोड़ते हुए रख दें। अब मरीज को सिर्फ घुटने की ताकत से उसे नीचे की ओर दबाने के लिए कहे। ऐसा करने से घुटने के आसपास तथा जांघ की मांसपेशियां काफी मजबूत होती है। तथा साथ ही दर्द से भी आराम मिलता है।

Straight Leg Rises – महेश को बिल्कुल सु्पाइन पोजिशन में लेटा कर उसे पैर उठाने के लिए कहे। एक पैर बिल्कुल सीधा होना चाहिए तथा दूसरा पैर बिल्कुल सीधा रखते हुए ऊपर की ओर उठा होना चाहिए।

Short arc quads – इसे करने का तरीका यह है कि मरीज को बिल्कुल सीधा लेटने के लिए कहें। अब मरीज को लेटे हुए ही पैर को हल्का मोड़ते हुए उठाकर कुछ देर के लिए रखने के लिए कहे कुछ देर का मतलब है कि एक बार उठा कर कम से कम 5 से 10 सेकंड तक मरीज पैर को उसी पोजीशन में रखें।


अगर मरीज पैर को उठा कर नहीं रख सकता है तो पैर के नीचे कुछ सपोर्ट दे दें। ध्यान दें कि इसमें पैर बहुत ज्यादा नहीं उठाना है ऐसा कम से कम एक सेट में 10 बार दोहराएं।

● कई बार घुटने के दर्द का कारण हिप ज्वाइंट के आसपास की मांसपेशियों का कमजोर होना भी होता है। ऐसे में हिप ज्वाइंट के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए Hip Joint Strengthening Exercise दिया जाना चाहिए। इससे भी दर्द से आराम मिलता है।

Lower Extremity Stretches –
stretching ghutne ke dard ka ilaaj मैं काफी कारगर माना जाता है। लोअर एक्सट्रीमिटी के एक-एक मांस पेशियों को विशेष तौर से स्ट्रेच करने से रेंज ऑफ मोशन (ROM) बढ़ने के साथ-साथ मांस पेशियों की ताकत भी बढ़ती है। यानी मसल्स स्ट्रैंथनिंग होती है।


इसके अलावा यह कई तरीके से दर्द को आराम पहुंचाता है। ध्यान दें कि यह स्ट्रेचिंग एक विशेषज्ञ फिजियोथैरेपिस्ट की देखरेख में ही होने चाहिए। अन्यथा बहुत ज्यादा करने से भी नुकसान हो सकता है। इससे घुटने का दर्द कम होने की बजाय और बढ़ ही सकता है।

Balance exercise – घुटने के दर्द से पीड़ित मरीजों में बैलेंसिंग की समस्या भी हो जाती है। ऐसे में उन्हें बैलेंसिंग एक्सरसाइज भी दिया जा सकता है। अध्ययन से यह बात साबित है कि अभी मरीज की स्थिति को बेहतर करने में मददगार साबित होता है।

घुटने के दर्द का इलाज के लिए फिजियोथेरेपी मशीन – Physiotherapy Machine for Knee pain

ऊपर तो घुटना दर्द के लिए व्यायाम की बात हो गई। अब इन एक्सरसाइज के अलावा कई अलग तरह की मशीने तथा दूसरे तकनीक भी है जिसका उपयोग घुटने के दर्द के इलाज में किया जाता है। यह मशीन निम्नलिखित है –

अल्ट्रासाउंड मशीन – Ultrasound Machine
मसल स्टिमुलेशन – Electric Stimulation (MS)
टैपिंग – Taping
हाइड्रोथेरेपी – Hydrotherapy (Ice or Heat pad)
सॉफ्ट टिशु मैनिपुलेशन
मोबिलाइजेशन

टेंस मशीन

ऊपर बताए गए एक्सरसाइज विशेषज्ञ फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में किए जाते हैं। जबकि कुछ एक्सरसाइज ऐसे हैं जो कि फिजियोथेरेपिस्ट एक मरीज को भी बता देते हैं ताकि वह घर पर भी इसे दोहरा सके। इससे रिकवरी तेज होती है।


जो मशीन है वह एक फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में ही लगाया जाना चाहिए। अगर आप एक्सरसाइज के साथ-साथ मशीन का द्वारा घुटने के दर्द का इलाज नहीं करवाते तो संभव है कि रिकवरी में कुछ समय लग सकता है। हालांकि यह बातें सभी मरीज पर एक समान लागू नहीं होती है।

इलाज कराते समय ध्यान देखिए पूरा दर्द खत्म होने के बाद ही फिजियोथेरेपी बंद करें। अगर आप बीच में ही फिजियोथेरेपी बंद कर देंगे तो संभव है कि यह कुछ दिनों के आराम के बाद फिर से आपको दर्द हो सकता है। तथा दर्द लंबे समय के लिए रह सकता है। इसलिए फिजियोथैरेपिस्ट के संपर्क में लगातार बने रहे।

इस पोस्ट में हमें घुटने के दर्द के लिए विस्तार से Physiotherapy treatment के बारे में जानकारी दी है। अगर आप इस विषय में कुछ और जानना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। अभी अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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One thought on “Knee Pain in Hindi – घुटने के दर्द का कारण, प्रकार, जांच तथा इलाज – Physiotherapy for knee pain in Hindi”

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