फिजियोथेरेपी में शार्ट वेव डायथर्मी मशीन क्या है – What is short wave diathermy meaning in hindi
शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग फिजियोथेरेपी में किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से Deep Heating देने के लिए किया जाता है। शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन को ही संक्षेप में एसडब्ल्यूडी (SWD) कहा जाता है। SWD मशीन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक्स वेव्स की मदद से हीट प्रोड्यूस करता है। जिसका उपयोग जॉइंट्स और सॉफ्ट टिशु में Heat देने के लिए किया जाता है।
शॉर्ट वेव डायथर्मी का बड़ा फायदा यह है कि यह जोड़ों के दर्द (Joints Pain) से आराम दिलाता है तथा सॉफ्ट टिशु हीलिंग (Shoft Tissue Healing) में भी काफी मदद करता है। शॉर्ट weve डायथर्मी मशीन का बड़ा फायदा यह है कि इसका उपयोग कॉम्प्लिकेटेड स्ट्रक्चर पर भी किया जा सकता है।

● शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन के कॉम्पोनेंट्स – short wave diathermy parts –
shortwave diathermy machine के दो मुख्य कंपोनेंट्स होते हैं।
• मशीन सर्किट या ऑसिलेटर सर्किट (Machine Circuit or Oscillator Circuit) – मशीन सर्किट हाई फ्रिकवेंसी करंट को पैदा करता है तथा इंटेंसिटी को एम्प्लीफाई करता है।
• पेशेंट सर्किट या रिजोनेटर सर्किट (Patient Circuit or Resonator Circuit) – यह मुख्य यूनिट से जुड़ा हुआ होता है। पेशेंट सर्किट से ही इलेक्ट्रिक एनर्जी मरीज तक ट्रांसफर करता है। यह हिस्सा मशीन से जुड़ा होता है। पेशेंट सर्किट को दूसरी भाषा में इलेक्ट्रोड भी कर सकते हैं क्योंकि इसी इलेक्ट्रोड के माध्यम से मरीजों तक हीट पहुंचाने का काम किया जाता है।
● शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन के इलेक्ट्रोड्स – electrode of shortwave diathermy machine :
short wave diathermy machine से मरीज तक जिस माध्यम से एनर्जी को ट्रांसफ़र किया जाता है, उसे ही इलेक्ट्रोड कहते हैं। इसमें मुख्यतः दो इलेक्ट्रोड होते हैं।
पैड इलेक्ट्रोड (Pad Electrode)
डिस्क इलेक्ट्रोड (Disc Electrode)
● पैड इलेक्ट्रोड (Pad Electrode)- पैड इलेक्ट्रोड्स को कभी भी मरीज के शरीर के सीधे संपर्क में यानी डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में नहीं रखा जाता है। इलेक्ट्रोड के नीचे कुछ रख दिया जाता है। मुख्य रूप से एक तोलिया रखना सही माना जाता है। इसको इस तरीके से रखा जाता है कि जैसे अगर घुटने पर ट्रीटमेंट देना है तो एक पैड घुटने के नीचे रहेगा तथा दूसरा पैड घुटने के ठीक ऊपर। ऐसी ही प्रक्रिया शरीर के अन्य हिस्सों में अपनाई जाती है।
● डिस्क इलेक्ट्रोड (Disc Electrode) –
डिस्क इलेक्ट्रोड तब यूज किया जाता है जब इलेक्ट्रोड को सीधे मरीज के बदन में संपर्क में नहीं रखना है। डिस्क इलेक्ट्रोड मशीन से फिक्स होता है। ऐसे एक घूमने वाले हिस्से के साथ फिक्स किया जाता है। यह इस तरीके से फिक्स किया जाता है कि आसानी से जिस हिस्से पर Treatment दिया जाना है, वहां पर एडजस्ट किया जा सके। इस पैड के उपयोग करने पर बीच में किसी अन्य तरह का कपड़ा रखने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यहां पहले से ही गैप मौजूद होता है।
● शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का फिजियोलॉजिकल प्रभाव -Physiological Effect of short wave diathermy machine :
इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब शरीर पर जिस हिस्से पर शॉर्ट वेव डायथर्मी Treatment दिया जाता है, उस हिस्से पर टिशू यानी ऊतकों में गर्माहट पैदा होती है। जिस कारण उस हिस्से का तापमान बढ़ जाता है। तापमान बढ़ने की वजह से उस हिस्से की मांसपेशियों में खून का दौरा (ब्लड सरकुलेशन) अच्छा हो जाता है।
इस कारण वहां पर जो समस्या होती है या दर्द होता है फ़्रेश ब्लड पर्याप्त मात्रा में मिलने की वजह से और खून का दौरा अच्छा होने की वजह से दर्द से आराम मिलता है। इसके अलावा मसल कॉन्ट्रक्शन को भी बेहतर करता है।
● शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग कब करना चाहिए – Short Wave Diathermy Indication
ऐसे कई किस कंडीशन है जिसमें ट्रीटमेंट के लिए शॉर्ट वेव डायथर्मी का उपयोग किया जाता है। यहां कुछ कंडीशन है जिसमें आम तौर से शॉर्ट वेव डायथर्मी का उपयोग किया जाता है।जैसे –
मांसपेशियों में स्पाज़्म (Muscle Spasm)
इंफ्लामेशन (Inflammation)
इंफेक्शन (Infection)
जख्म अगर जल्दी न ठीक हो रहा हो (Delayed Healing)
फाइब्रोसिस (Fibrosis)
स्प्रेन
स्ट्रेन
कैसल से संबंधित बीमारी
मांसपेशियों तथा टेंडन से जुड़ी समस्या की स्तिथि में
क्रोनिक रह्यूमेटाइट अर्थराइटिस
जोड़ों से जुड़ी पुरानी बीमारी
जॉइंट स्टिफनेस
हेमाटोमा
सायनोवाइटिस
बर्साइटिस
फ्रोजेन शोल्डर
स्पॉन्डिलाइटिस इत्यादि
इन बीमारियों के अलावा कई और बीमारी है जहां शॉर्ट वेव डायथर्मी का उपयोग करना काफी फायदेमंद होता है।
● शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग कब नही करना चाहिए – Short Wave Diathermy Contraindication in Hindi :
कई ऐसी स्थिति भी होते हैं जहां शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग का उपयोग करना मना होता है। वह स्थिति निम्नलिखित है –
अगर किसी व्यक्ति का ऑपरेशन हुआ और उसके शरीर में कहीं पर अगर मेटल प्लांट है तो वह स्थान पर गलती से भी शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग का उपयोग नहीं करता है।
अगर कहीं पर हेमरेज हुआ है वहां पर शॉर्ट वेव डायथर्मी का उपयोग नहीं करना है।
अगर मरीज कैंसर से पीड़ित है तो कैंसर वाले हिस्से में गलती से भी शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग का उपयोग ना करें। इसे कैंसर के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
ट्यूबरक्लोसिस जॉइंट में भी शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग नहीं देना है।
अगर किसी मरीज का रेडियो थेरेपी 3 महीने पहले हुआ तुम ऐसे मरीज को भी शॉर्ट वेव डायथर्मी ट्रीटमेंट ना दे। क्यों कि ऐसी स्तिथि में सेंशेसन कम हो जाती है।
वैसे पेशेंट को जिनको सेंसेशन नहीं है यानी कि जो ठंडा या गर्म महसूस करने की क्षमता खो देते उन्हें भी ना दें। उदाहरण के तौर पर पर पैरापजिया के मरीज
हाल ही में जिस व्यक्ति को पेसमेकर लगाया गया हो उन्हें भी पेस मेकर वाले हिस्सें पर SWD Treatment न दे।
अगर मरीज महिला है, और अगर वह प्रेग्नेंट है तो उसके पेट पर गलती से भी शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग ना दे। इसके अलावा थ्रांबोसिस की स्थिति में भी शॉर्ट वेव डायथर्मी मशीन का उपयोग का उपयोग ना करें।
यह मोटे मोटे तौर पर कुछ ऐसे कंडीशन है जिसमें शॉर्ट वेव डायथर्मी का उपयोग करने से मना किया गया है। इसके अलावा आप अपने समझ बुझ का इस्तेमाल करते हुए ही फैसला करें कि किस स्थान पर और किस स्थिति में शॉर्ट वेव डायथर्मी का उपयोग करना चाहिए और कहां करना नुकसानदायक हो सकता है।
● शॉर्ट वेव डायथर्मी से इलाज कितनी देर देनी चाहिए – Treatment Duration of Short wave Diathermy
Short wave Diathermy Treatment कितनी देर और किस स्थिति में देना है, यह इस पर निर्भर करता है कि किस कंडीशन का इलाज किया जा रहा है। यानी कि मरीज किस बीमारी का इलाज करवा रहा है उसी आधार पर आप इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी सेट कर सकते हैं।
अगर मोटे तौर पर समझे तो अगर कोई कंडीशन क्रॉनिक कंडीशन है तो कम से कम 20 मिनट का ट्रीटमेंट दें और ट्रीटमेंट एक दिन में एक ही बार देनी चाहिए। वहीं, अगर Acute Condition है तो दिन में दो बार Short wave Diathermy दें। SWD Treatment Duration हर एक बार कम से कम 10 मिनट होना चाहिए।
विशेष :
इस लेख में हमने आपको short wave diathermy machine तथा short wave diathermy Treatment की पूरी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर आप कुछ और जानकारी चाहते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। इस लेख के बारे में अपनी राय ज़रूर दें।
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