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प्रोलैप्स क्या है – Prolapse hindi definition

प्रोलैप्स एक बीमारी है जो की पेल्विक फ्लोर के मांसपेशियों तथा लिगामेंट्स के खिंच जाने तथा कमज़ोर होने के कारण होता है। पेल्विक फ्लोर के मांसपेशियों तथा लिगामेंट्स के खींच जाने तथा कमज़ोर हो जाने के कारण पेल्विक क्षेत्र में मौजूद अंगों को आवश्यक सहारा (सपोर्ट) नही मिल पाता है। इस कारण ये अंग अपने स्थान से खिसक जाते हैं या योनि के द्वारा बाहर निकल आते हैं।

यह बीमारी किसी भी उम्र की महिलाओं में हो सकता है। हालांकि यह विशेष कर मोनेपोज़ (मासिक चक्र बंद होने के बाद की स्तिथि) के बाद महिलाओं में तथा एक या एक से अधिक बार सामान्य प्रसव (योनि) के द्वारा बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में अधिक होता है।

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● प्रोलैप्स के कारण – Cause of Prolapse in Hindi

प्रोलैप्स के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं :

• गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) तथा बच्चे का सामान्य प्रसव ( यह काफी सामान्य कारण हैं)।

• मोनेपोज़

• मोटापा

• लंबे समय से मौजूद कब्ज़ तथा खांसी

• पेल्विक ऑपरेशन जैसे – गर्भाशय को हटाने के लिए किया गया ऑपरेशन

• पेल्विक के हिस्से में अधिक विकिरण (रेडिएशन) पड़ने के कारण

• अनुवांशिक कारणों से ऊतकों की गुणवत्ता खराब होने के कारण जैसे एहलर डैंलोस सिंड्रोम के कारण

● प्रोलैप्स के लक्षण – Symptoms of prolapse in Hindi

प्रोलैप्स के लक्षण प्रभावित होने वाले हिस्सों यानी प्रोलैप्स के प्रकार (Types of Prolapse) पर निर्भर करता है। इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं :

एंटीरियर वजाइनल प्रोलैप्स – anterior vaginal prolapse in Hindi : इसमें महिलाओं के मूत्राशय तथा योनि के बीच मौजूद ऊतक कमज़ोर हो जाते हैं या खिंच जाते हैं। इस कारण मूत्राशय योनि में आ जाता है।

इसके निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं – Symptoms of anterior vaginal prolapse

• जल्दी – जल्दी पेशाब होना
• रात में काफी अधिक पेशाब होना
• मूत्राशय (ब्लैडर) पर से नियंत्रण खत्म हो जाना
• मूत्राशय में बार – बार संक्रमण हो जाना

पोस्टीरियर वजाइनल प्रोलैप्स – Posterior vaginal prolapse : इस स्तिथि में योनि के पिछले हिस्से की दीवार कमज़ोर हो जाती है। इस कारण मलाशय खिसक कर योनि में आ जाता है। कभी – कभी यह इतना खींच जाता है की यह योनि के बिल्कुल बाहर ही आ जाता है।

इसके निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं – symptoms of posterior vaginal prolapse

• आंतों में मूवमेंट होने पर समस्या हो सकता है। इस स्तिथि में कब्ज़ हो सकता है।
• मल होना बंद हो सकता है।
• पेल्विक हिस्से पर अधिक दबाव बढ़ जाता है।

कभी – कभी पेशाब तथा मल को बाहर निकालने के लिए बाहर आ चुके हिस्से को अंदर की ओर करना पड़ता है।

● यूटेराइन प्रोलैप्स – uterine prolapse in Hindi

जब गर्भाशय (यूटरस) को अपने स्थान पर बनाए रखने में मदद करने वाली पेल्विक फ्लोर की सहायक मांसपेशियां तथा लिगामेंट कमज़ोर हो जाते हैं तो सर्विक्स तथा गर्भाशय योनि (वजाइना) में आ जाते हैं। इसके बाद यह योनि से बिल्कुल बाहर आ जाते हैं। बाहर आने के कारण यह अंगवस्त्र या सुरक्षा पैड से लगातार टकराने के कारण क्षतिग्रस्त हो सकता है तथा अल्सर उत्पन्न हो सकता है।

इसके लक्षण निम्नलिखित हैं – Symptoms of uterine prolapse in Hindi

• पेल्विक में भारीपन तथा हल्का भी दबाव पड़ने पर दर्द होना

• संभोग के समय काफी दर्द होना

• योनि से खून आना

गर्भाशय को हटा देने के बाद भी वजाइनल प्रोलैप्स : जब किसी महिला के गर्भाशय को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है, तो जहां गर्भाशय हुआ करता था, वह स्थान अपने सहायक लिगामेंट्स से अलग हो सकता है। इस बात के आधार पर की योनि का ऊपरी भाग कितना अंदर की ओर है, पेल्विक हिस्से में मौजूद कोई भी प्रमुख अंग जैसे मूत्राशय, छोटी आंत या बड़ी आंत अपने स्थान से हट कर आगे की ओर आ सकता है।

इंटेरोसेले : इस स्तिथि में छोटी आंत अपने स्थान से अलग हो कर पेल्विक के हिस्से में आ जाता है। यह आंत तथा योनि को जोड़ने वाले टिस्यू के अलग हो जाने के कारण होता है। जब यह होता है तो छोटी आंत योनि के ऊपरी हिस्से पर दबाव डालने लगता है। इस कारण एक उभाड़ बन जाता है।

● प्रोलैप्स के लिए की जाने वाली जांच – prolapse tests in hindi

आपको निम्नलिखित जांच करवाने पड़ सकते हैं :

• पैप स्मीयर
• पेल्विक का अल्ट्रासाउंड

• ट्रान्सपेरिणीयल अल्ट्रासाउंड/ पेल्विक का एमआरआई :

इस जांच का उपयोग इस बात की पुष्टि करने के लिए जा सकता है की खांसने तथा किसी दबाव की स्तिथि में पेल्विक हिस्से में मौजूद अंग योनि के दीवार की तरफ़ तथा अपने स्थान से अलग आ जाते हैं।

• मूत्र जांच

● प्रोलैप्स का इलाज – Treatment of prolapse in Hindi

वजाइनल पेसरी – vaginal pessary for prolapse

यह एक प्रकार का यंत्र होता है। इस यंत्र को मरीज़ की योनि के अंदर गर्भाशय को अपने स्थान पर बनाए रखने के लिए डाला जाता है। इसे अस्थायी इलाज के तौर पर लगाया जाता है। वजाइनल पेसरी अलग – अलग आकार तथा प्रकार हो होते हैं। इस लिए डॉक्टर नाप के आधार पर उचित पेसरी लगा देता है।

सर्जरी – surgery for prolapse

कमज़ोर तथा खिंच चुके पेल्विक फ्लोर के मांसपेशियों तथा लिगामेंट्स को ठीक करने के लिए कुछ ऑपरेशन का सहारा ले सकता है। कभी – कभी डॉक्टर पेट के ऑपरेशन की भी सलाह दे सकते हैं। ऑपरेशन का सबसे पहला उद्देश्य खराब हो चुके हिस्से को ठीक करना तथा खोए हुए सहारे को फिर से स्थापित करना है। अगर गर्भाशय में किसी प्रकार की बीमारी नही है, तो इसे हटाने की ज़रूरत नही है।

● प्रोलैप्स से बचाव के उपाय – Prevention from prolapse

प्रोलैप्स होने की संभावना को कम करने के लिए आप निम्नलिखित चीज़े कर सकते हैं :

• नियमित रूप से कीगल एक्सरसाइज करें।

• कब्ज़ का अच्छे से इलाज करवाएं तथा इससे बचाव के उपाय करें।

• भारी सामान उठाने से बचें तथा हमेशा सही तरीके से कुछ भी उठाएं।

• खांसी को नियंत्रित करें।

• वज़न को हमेशा नियंत्रण में रखें।

इस विषय में अगर आप कुछ और जानना चाहते हैं तो अपने सवाल बॉक्स में पूछ सकते हैं।

धन्यवाद

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2 thoughts on “प्रोलैप्स क्या है – कारण, लक्षण, जांच, इलाज एंव बचाव के उपाय – All About Prolapse in Hindi”
  1. मेरे मदर को dr ने इंटीरियर posterior repair के लिए बोला है क्या उन्हे इस रिपेयर में utreus भी रिमूव करवा लेना चाइए क्या । उनका यूटरस 1° नीचे आ चुका है

  2. Plz help
    Mera b uterus prolapse h, bar bar pesab hota h or lagta h latrine ka muh band ho gya h
    Mai bahut presan hu plz koi solutions btaiye 🙏🙏🙏

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