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अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है – Ulcerative colitis in Hindi – अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण, लक्षण, जांच और इलाज

अल्सरेटिव कोलाइटिस हिंदी में – ulcerative colitis hindi me

अगर आप भी इस प्रश्न का जवाब ढूंढ रहे हैं कि अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है (ulcerative colitis kya hai) तो ये लेख आपके लिए ही है। इस आर्टिकल में अपको हम अल्सरेटिव कोलाइटिस हिंदी में (ulcerative colitis hindi me) में बताएंगे। अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या होता है, ये बताने के अलावा हम आपको ये भी बताएंगे कि क्या अल्सरेटिव कोलाइटिस पूरी तरह ठीक हो सकती है?

तो अल्सरेटिव कोलाइटिस कौन सी बीमारी है? ये जानने के लिए तथा अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण (ulcerative colitis ke lakshan in hindi), अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज (ulcerative colitis ke ilaj in hindi) इत्यादि के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।

अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है – ulcerative colitis in Hindi

अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) पेट का एक इन्फ्लामेट्री रोग है। इसमें लंबे समय के लिए आपके पाचन तंत्र में सूजन आ जाता है। आंतों में सूजन कैसे होता है? अगर ये आपका सवाल है तो ये भी साफ हो गया कि अन्य कारणों के अलावा आंतों में सूजन ulcerative colitis के कारण होता है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस सामान्यतः बड़ी आंत के अंदरूनी परत तथा मलाशय (रेक्टम) को प्रभावित करता है। ऐसा बड़ी आंत के लंबे समय तक के खिंचाव के कारण होता है।

पेट के अन्य इन्फ्लामेट्री रोग की ही तरह ulcerative colitis भी होने पर मरीज काफी कमजोर होने लगता है। कभी – कभी इस बीमारी के कारण जीवन को खतरे में डालने वाली समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। चूंकि अल्सरेटिव कोलाइटिस क्रोनिक (लंबे समय तक रहने वाली) बीमारी है। इस कारण इस बीमारी के लक्षण अचानक दिखने की बजाय धीरे – धीरे दिखते हैं।

अल्सरेटिव कोलाइटिस होने के कारण – ulcerative colitis cause in Hindi

अल्सरेटिव कोलाइटिस आपके बड़ी आंत में अल्सर तथा सूजन पैदा करता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी के होने के सटीक कारण का पता अब तक नही चल पाया है। हालांकि हालिया खोज में यह सामने आया है कि अल्सरेटिव कोलाइटिस एक प्रकार का ऑटो इम्यून डिजीज है। यह सामान्यतः ऐसे व्यक्ति में होता है जो कि कम साफ सफाई वाले स्थान में रहते हैं।

अल्सरेटिव कोलाइटिस किसे होने की अधिक संभावना है – ulcerative colitis risk factor in Hindi

अल्सरेटिव कोलाइटिस पुरुष और महिलाओं, दोनो में एक समान ही प्रभावित करता है। हालांकि कभी – कभी यह होना परिवार के इतिहास तथा उम्र पर भी निर्भर करता है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण – ulcerative colitis Symptoms in Hindi

अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण बीमारी के स्थान तथा सूजन के तीव्रता के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। इस कारण डॉक्टर ulcerative colitis को इससे प्रभावित होने वाले स्थान के आधार पर अलग अलग प्रकार में बांटा गया है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस कुछ सामान्य रूप से दिखने वाले लक्षण निम्नलिखित हैं –

• दस्त के साथ खून आना
• अमाशय में दर्द
• पेट में मरोड़ या दर्द
• मल त्याग की इच्छा होने के बाद भी मल न त्याग पाना
• अत्यधिक थकान
• तेज़ी से वजन कम होना
• लगातार दस्त आना
• बुखार

अल्सरेटिव कोलाइटिस की जांच – ulcerative colitis diagnosis in Hindi

अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण पेट के ही अन्य बीमारियों जैसे क्रोन्स डिजीज, इस्कीमिक कोलाइटिस, इन्फेक्शन, इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, डाइवरकुलाइटिस तथा बड़ी आंत के कैंसर से भी मिलते हैं। इस कारण डॉक्टर इन बीमारियों की भी जांच करवा सकता है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी की पुष्टि के लिए आपको बॉयोप्सी के साथ क्लोनोस्कोपी करवाना पर सकता है। इसके अलावा अन्य संभावित बीमारियों के लिए भी कुछ टेस्ट किए जा सकते है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज – ulcerative colitis treatment in hindi

ulcerative colitis ka ilaj का मुख्य उद्देश्य आंत के सूजन को कम करना होता है। इससे अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण में काफी आराम मिलता है। इसके अलावा इससे लंबे समय के लिए भी आराम मिल सकता है। अधिक्तर मौकों पर इसके इलाज के लिए दवाईयों का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा जीवन शैली में भी बदलाव करने को कहा जाता है। इन सभी से कोई लाभ न होने की स्तिथि में सर्जरी करना पर सकता है।

क्या अल्सरेटिव कोलाइटिस पूरी तरह ठीक हो सकती है? ये सवाल आमतौर से लोगों के दिमाग में आता है। तो बतादें की अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज है। लेकिन इसे पूरी तरह जड़ से खत्म करना कठिन होता है। इस लिए ही अल्सरेटिव कोलाइटिस का इलाज का मुख्य उद्देश्य अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण की तीव्रता तथा गंभीरता को कम करना होता है। इसे भी मरीज़ को काफी आराम मिलता है।

नोट- इस लेख में बताई गई जानकारियों को केवल जानकारी के तौर पर ही लें। इलाज संबंधित कोई भी फैसला डॉक्टर की सलाह पर ही लें।

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