यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले तकनीक – Urinary Incontinence Treatment in hindi
यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस ( Urinary incontinence ) या Urine incontinence एक ऐसी स्तिथि है जिसमें विशेषकर महिलाओं में पेशाब को रोके रखने की क्षमता काफी हद तक कम हो जाती है। इस लिए इसे Female Urinary incontinence भी कहा जाता है। हिंदी में इसे मूत्र असंयमन कहा जाता है।

इस स्तिथि में महज़ हंसने या खांसने मात्र से ही पेशाब लीक कर जाते हैं। इसी Urinary Incontinence Treatment के लिए कई चीज़ों के अलावा कुछ टेक्निक्स का भी उपयोग किया जाता है। Urinary Incontinence Treatment Exercises को कुछ दिन विशेषज्ञ से सीख कर घर पर भी किया जा सकता है।
कुछ कारणों से पेशाब रोकने की क्षमता पर से यानी ब्लैडर पर से नियंत्रण खत्म हो जाने के बाद जब पेशाब अपने आप ही लीक करने लगता है तो इसे ही नियंत्रित करने के किए कुछ विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है। जिस तकनीक का उपयोग Urinary Incontinenece Treatment के लिए किया जाता है उसे यह तकनीक को Urge Control Technique कहा जाता है।
यह Urge Control Technique सामान्यतः Urge Urinary incontinence की स्थिति में अपनाया जाता है। इन तकनीकों को सीखने के लिए पहले अभ्यास की ज़रूरत होती है। इसे सीखने के बाद यूरिन इंकॉन्टिनेंस की समस्या से ग्रसित व्यक्ति आराम से पेशाब के अपने आप लीक होने से पहले ही Control कर तय स्थान और समय पर मूत्र त्याग कर सकता है।
ये तकनीक निम्नलिखित हैं – Urinary Incontinenece Treatment Technique in Hindi
● पेल्विक फ्लोर कॉन्ट्रैक्शन – Pelvic Floor Contractions
इस तकनीक के सहारे अनचाहे रूप से होने वाले ब्लैडर मूवमेंट को नियंत्रित करने की तकनीक सिखाई जाती है। इसमें पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों को कॉन्टैक्ट करना पड़ता है। इसे सीख कर अचानक से होने वाले ब्लैडर मूवमेंट की स्तिथि में मूत्र को लीक होने से रोका जा सकता है। जब इस तकनीक का उपयोग ब्लैडर के पूरी तरह कॉन्ट्रैक्ट करने से पहले ही किया जाता है तो यह अधिक प्रभावी तरीके से काम करता है।
● पेरिणीयल प्रेशर – perineal pressure
एक शख्त सतह पर जैसे कुर्सी के बांह के सहारे या एड़ी के बल पर बैठ कर इस इसे किया जाता है।
● टो कलिंग तकनीक
Urinary incontinence Treatment Technique में इस तकनीक को काफी प्रभावी माना गया है। अचानक जोड़ से मूत्र त्याग की इच्छा होने पर यह व्यायाम कहीं भी किसी भी समय किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में पैर की उंगलियों को नीचे की ओर पूरी तरह मोड़ने की कोशिश करें, जैसे की हांथ में मुट्ठी बंद करने के लिए किया जाता है। आप पैर की उंगलियों को तब तक उसी स्तिथि में रखें जब तक की मूत्र त्याग करने की इच्छा नियंत्रित न हो जाए।
हालांकि इस दौरान ध्यान रखें की उंगली इतनी न मुड़ जाए की कुछ और समस्याओं का सामना करना पड़ जाए। एक समय में एक ही पैर की उंगलियों को मोड़ें तथा पैर बदल – बदल कर करें। यानी की अगर आपने पहले दाएं पैर की उंगलियों को मोड़ा है तो कुछ समय बाद बाएं पैर की उंगलियों को मोड़े यह प्रक्रिया नियमित रूप से करें। एक समय में एक ही पैर की उंगलियों को मोड़ना काफी है। इससे पेशाब को कंट्रोल करने में काफी मदद मिलती है।
● जांघों को एक दूसरे पर चढ़ा लें तथा कूल्हे पर ताकत लगा कर कस लें
बैठे रहने की स्तिथि में अचानक ज़ोर से मूत्र महसूस होने पर तुरंत एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा लें तथा कूल्हे (बटक) को ताकत लगा कर कस लें। अगर आप खड़े हैं तो खड़े ही स्तिथि में पैर पर पैर चढ़ा लें। ऐसा करने से महिलाओं में मूत्रमार्ग तथा इसके आसपास के ऊतक दब जाते हैं। इससे आप को मूत्र नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
● काफ स्ट्रेचिंग – Calf Muscle Straitching
इस प्रक्रिया में घुटने के नीचे, पिछले हिस्से के मांसपेशियों में खिंचाव दिया जाता है। यह व्यायाम सोये, बैठे तथा खड़े रहने की स्तिथि में भी किया जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत अचानक मूत्र त्याग की इच्छा महसूस होने पर अपने घुटने को बिल्कुल सीधी रखें तथा अपने पैर के पंजे को अपनी तरफ खिंचे। ऐसा करने से आपको घुटने के नीचे, पैर के पिछले हिस्से यानी काफ में खिंचाव महसूस होगा। इस स्तिथि में तब तक रहें, जब तक की मूत्र त्याग की इच्छा उस समय खत्म न हो जाए।
● संयम से चलें
Urinary incontinence की स्तिथि में अचानक मूत्र त्याग की इच्छा होने पर तुरंत मूत्र त्याग के लिए शौचालय में न जाएं, ऐसा करने से मूत्राशय (ब्लैडर) पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस लिए इस स्तिथि में तेज़ी से शौचालय की तरफ जाने से पहले हल्के – हल्के कदमों से आगे बढ़े तथा अपने पैर की हरकतों को महसूस करने की कोशिश करें। इसे बिल्कुल अपने सांस के साथ मिलाने की कोशिश करें। ऐसा करने से Urinary incontinence Treatment काफी अच्छे से फायदा करता है।
● जब भी संभव हो तो बैठ जाएं
मूत्राशय की मांसपेशियां खरे रहने या चलने की स्तिथि में शांत नही रह पाता है। इस लिए मूत्राशय में हरकत महसूस होने पर इसे नियंत्रित करने के लिए बैठ जाएं तथा मूत्र त्याग की इच्छा और तेज़ होने से पहले ही ऊपर बताए गए तकनीकों को अपनाने की कोशिश करें।
● अपने ध्यान को भटकाएं
अगर एक बार आपने मूत्र त्याग की इच्छा को विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर नियंत्रित कर लिया है तो इसके बाद ध्यान से खड़े हो जाएं, पेट तथा सीने को बिल्कुल ढीला रखें तथा धीरे – धीरे मूत्र त्याग के लिए शौचालय की तरफ बढ़ते समय अपने ध्यान को मूत्र त्याग से हटा कर कहीं और भटकाने की कोशिश करें।
ध्यान भटकाने के लिए आप शौचालय की तरफ बढ़ते समय अपने कदम को गिनना शुरू करें या अपना ध्यान पूरी तरह अपने सांस पर केंद्रित कर लें। इस तरह आपका ध्यान मूत्र त्याग से भटक जाएगा। Urinary incontinence Treatment में यह तकनीक भी काफी कारफर है।
अब अगर आपने मूत्र त्याग की अचानक इच्छा को कुछ समय के लिए नियंत्रित करना सीख लिया है, तथा कुछ समय मूत्र रोके रखने में आप सक्षम हैं, तो अगली बार से मूत्र त्याग की इच्छा होने पर शौचालय जाने से पहले मूत्र को रोके रखें तथा कम से कम 5 मिनट इंतजार करें। इस दौरान भी अपने ध्यान को मूत्र त्याग से हटा कर कहीं और भटकाने की कोशिश करें। इस दौरान आप मन ही मन कुछ गिनने लगें या कुछ अन्य बात याद करने लगें। इस तरह आपका ध्यान भटक जाएगा।
अब अगर आपने 5 मिनट तक मूत्र को रोक लिया है तो –
धीरे – धीरे इस समय को और बढ़ाने की कोशिश करें। इससे आप मूत्राशय पर काफी हद तक नियंत्रण पा लेंगे तथा अचानक से मूत्र लीक होना भी बंद हो जाएगा। इन सब के लिए बताए गए व्यायाम को नियमित रूप से करना पड़ेगा।
ऊपर बताए गए तकनीक के सहारे आप Urinary Incontinenece या Urine Incontinenece से काफी हद तक आराम पा सकते हैं।
इसमें बताए गए तकनीक घर पर भी बेहद आसानी से किए जा सकते है। Urinary incontinence treatment at home में भी बस ऊपर बताए नियमों का पालन करना है। यह सभी Urinary Incontinence Treatment Exercises आपको समस्या से काफी हद तक आराम देगा। बस ज़रूरत है कि इन नियमों का पालन नियमित रूप से किया जाए।
इस लेख में हमने आपको Urine Incontinenece Treatment in Hindi की पूरी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर आप कुछ और जानकारी चाहते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। इस लेख के बारे में अपनी राय ज़रूर दें।