फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में Physiotherapy ultrasound machine का बहुत ही अधिक महत्व है। इसका उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा किया जाता है। Physiotherapy ultrasound machine से इलाज को ही Ultrasound Therapy के नाम से जाना जाता है। आज आपको इस लेख में Physiotherapy ultrasound machine और Ultrasound Therapy के बारे में ही विस्तार से बताएंगे।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी क्या है – What is Ultrasound Therapy in Hindi –
Ultrasound Therapy में Ultrasound Energy की मदद से व्यक्ति का इलाज किया जाता है। यह एनर्जी व्यक्ति के त्वचा पर इलाज के लिए Ultrasound Machine में लगे ट्रांसड्यूसर की मदद से आता है। ट्रांसड्यूसर क्रिस्टल से बना हुआ होता है। यह Vibration के द्वारा ही अल्ट्रासाउंड एनर्जी उतपन्न करता है। इसी ऊर्जा का उपयोग मानव शरीर पर विभिन्न स्तिथि में किया जाता है।

Ultrasound Therapy शरीर के बाहरी त्वचा द्वारा ही दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड थेरेपी मशीन से निकलने वाले वेव हमारे शरीर में त्वचा को पार करते हुए आमतौर से 4 से 6 सेंटीमीटर तक जाता है। शरीर में यह वेव विभिन्न फिजियोलॉजिकल तथा अन्य क्रियाओं के तहत आराम पहुंचाता है।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी का उपयोग – Use of Ultrasound Therapy
Physiotherapy Ultrasound Therapy मुख्यतः शरीर में Deep Heat देने के लिए किया जाता है। यह मुख्यतः Soft tissues जैसे कि Muscles, Tendons, Joints तथा Ligaments में दिया जाता है।
● अल्ट्रासाउंड वेव्स के प्रकार – Types of Ultrasound Wave
Physiotherapy ultrasound machine से निकलने वाले वेव को उसके व्यवहार के आधार पर 2 प्रकार में बांटा गया है।
Lingitudinal Wave
Transverse Wave
● अल्ट्रासाउंड मशीन का डोज रेंज – Ultrasound Dose Range
अल्ट्रासाउंड मशीन में अलग – अलग स्तिथि के लिए अलग – अलग तीव्रता का विकल्प दिया गया है। जैसे कि अगर कोई बीमारी काफी लंबे समय से है तो उसमें कुछ और तीव्रता का वेव दिया जाएगा। वहीं, नई बीमारी के लिए यह रेंज अलग होता है।
मुख्यतः अल्ट्रासाउंड में 3 डोज रेंज होते हैं – Physiotherapy ultrasound frequency
लो इंटेंसिटी : इसकी फ्रीक्वेंसी 0.1 से 0.8 W क्वायर सेंटीमीटर होता है।
मीडियम इंटेंसिटी : इस तरह के अल्ट्रासाउंड की फ्रीक्वेंसी 0.8 से 1.5 वाट्स स्क्वायर सेंटीमीटर तक होता है।
हाई इंटेंसिटी : इसकी फ्रीक्वेंसी 1.5 से 3.0 वाट्स स्क्वायर सेंटीमीटर तक होता है।
किसी भी बीमारी में Ultrasound Therapy देने से पहले यह देखना जरूरी है कि बीमारी chronic है या Acute है। इसके अलावा यह भी देखना होता है कि Ultrasound Therapy कहाँ पर दिया जाना है। अर्थात, जहां मोटी चमड़ी (Thick Skin) होगी वहां Dose की ज़रूरत ज़्यादा होगी। वहीं, पतले चमड़े (Thin Skin) पर कम इंटेंसिटी की ज़रूरत होगी।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी देने का तरीका – Method Of Application Of Physiotherapy Ultrasound
Ultrasound Therapy देने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की आपके पास Physiotherapy ultrasound gel है। आपको बता दें कि Ultrasound Gel के बिना अल्ट्रासाउंड थेरेपी का पूरा फायदा नही मिलता है। अगर जेल न हो तो आप कुछ अन्य चीज़े भी यूज कर सकते हैं। इसे Coupling Medium कहा जाता है।
त्वचा और Ultrasound Machine के Transducer के बीच अच्छे से संपर्क होने तथा Wave के ठीक ढंग से त्वचा में जाने के लिए Coupling Medium बहुत ज़रूरी है। Physiotherapy ultrasound gel न होने की स्तिथि में आप Coupling Medium के रूप में जैतून का तेल, कोई अन्य जेली या लिक्विड पैराफिन वैक्स यूज़ कर सकते हैं।
Coupling Medium का चुनाव करते समय इन बातों का ख्याल रखें कि कपलिंग मीडियम तरल हो, वह किसी तरह का एलर्जी न करे, उसमें कोई केमिकल न हो, वह पूरी तरह पारदर्शी होना चाहिए। साथ ही साथ यह भी ध्यान देना है कि Coupling Medium ज़्यादा महंगा न हो।
Coupling Medium चुनने के बाद उस स्थान का चुनाव करें जहां Ultrasound Therapy दिया जाना है। ध्यान दें कि वह हिस्सा पूरी तरह साफ और किसी तरह का जख्म, कटा हुआ या त्वचा रोग न हो। इसके बाद इलाज शुरू कर सकते हैं।
● निम्नलिखित स्तिथि में अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है – Ultrasound therapy indications in Hindi
अधितकर Chronic Musculoskeletal Condition में Ultrasound therapy Use किया जाता है। जैसे –
मायोसाइटिस
फाइब्रोसाइटिस
कैप्सुलाइटिस
बर्साइटिस
टेंडनाइटिस
टिनोसाइनोआइटिस
स्प्रेन तथा स्प्रेन की स्तिथि में
मस्कुलर स्पाज्म
कार्पल टनल सिंड्रोम
न्यूरॉल्जिया
स्कार टिशू
ऑस्टियोअर्थराइटिस
जॉइंट कॉंट्रेक्चर
मुखयतः इन कंडीशन में Physiotherapy Ultrasound Therapy काफी कारगर साबित होता है।
● कुछ ऐसे कंडीशन भी है, जहां अल्ट्रासाउंड उपयोग करने की इजाज़त नही है – Ultrasound therapy contraindication in Hindi
इंफेक्शन
पेरिफेरी न्यूरोपैथी
कैंसर
हाल ही में हुए हैमरेज की स्तिथि में
मेटल इंप्लांट की स्तिथि में
हाल ही में हुए स्किन ग्राफ्ट
गर्भवती महिलाओं को सीधे पेट पर नही देना है।
अगर कोई मरीज खून पतला करने की दवाई ले रहा बै यो उसे भी अल्ट्रासाउंड थेरेपी नही देनी है।
बोन टीवी में
आंख, हृदय या ब्रेन पर
रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पर भी इसका इस्तेमाल नही करना हैं।
● अल्ट्रासाउंड थेरेपी कितनी देर देनी चाहिए – Ultrasound Therapy Duration
अगर आप क्रोनिक बीमारी में Ulrtrasaund Therapy Treatment दे रहे हैं, तो 6 से 8 मिनट तक दे सकते हैं। इसी तरह अगर Acute Condition में उपयोग कर रहे हैं तो Ulrtrasaund Therapy Treatment Time 4 से 6 मिनट काफी है।
इन बातों का ध्यान रखते हुए आप सुरक्षित तरीके से Ultrasound Machine का उपयोग कर सकते हैं।
फिजियोथेरेपी अल्ट्रासाउंड मशीन के फिजियोलॉजिकल इफेक्ट जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।
इस लेख में हमने आपको Ultrasound Therapy तथा Physiotherapy Ultrasound Machine की पूरी जानकारी देने की कोशिश की है। अगर आप कुछ और जानकारी चाहते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।आपPhysiotherapy Ultrasound Machine in hindi हमसे फेसबुक पर भी ज़रूर जुड़ें।
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Sir mere kohni jam ho gaya hai kya isko seedha karne ke liya ultrasonic machine ka upyog kar sakte hai kya
You need to do some exercise too.